आखिर क्या है सलोन कोतवाल पर लगे पांच लाख की रंगदारी के आरोप की सच्चाई?

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रायबरेली। थाने में बैठकर सुलह-समझौता करने के बाद नियत में खोट पैदा हुआ तो न केवल रायबरेली पुलिस को बदनाम करने का कुचक्र रचा गया बल्कि अपने जनहित के कार्याें से जनता के चर्चित रहने वाले एक इंस्पेक्टर के दामन को घूसखोरी और रंगदारी से दागदार करने की कोशिश की गयी। लेन-देन के मामले में आये प्रार्थना पत्र के निस्तारण कराने के बदल जहां कोतवाल को प्रशंसा मिलनी चाहिए वहीं उनकी खाकी पर बदनियती से बदनामी की कालिख पोतने का भरपूर प्रयास किया गया। हालांकि साक्ष्य, गवाह और जांच कोतवाल पर लगे रंगदारी में पांच लाख रुपये मांगने के आरोप से फिलहाल बरी कर रही है। सवाल यह है कि क्या जांच के बाद उन पर भी कार्यवाही होगी जिन्होंने घूस और रंगदारी मांगने का आरोप लगाकर पुलिस महकमे में बदनाम करने का काम किया था। मामला जिले की सलोन कोतवाली का है। यहां के कोतवाल राम आशीष उपाध्याय पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ने पांच लाख रुपये की रंगदारी मांगने का गंभीर आरोप लगाया। यहीं नहीं उन्होंने इससे सम्बंधित एक वीडियो भी वायरल किया है। जिसमें कोतवाली परिसर में रुपये गिने जा रहे हैं। इस पूरे प्रकरण की अगर तह तक जायें तो मामला एक जमीन की खरीद-फरोख्त से जुड़ा है। कोतवाली क्षेत्र के ही रहने वाले परमेश पटेल और जितेन्द्र सिंह के मध्य एक जमीन का सौदा हुआ था। जमीन बैंक में गिरवी थी। उसे छुड़ाने के लिए परमेश पटेल ने जितेन्द्र सिंह को 12 लाख रुपये दिये थे। जमीन के कागज जब मिले और परमेश पटेल ने रकबा जांचा तो मौके पर कागजों पर चढ़ी जमीन की अपेक्षा कब्जा की गयी जमीन अद्दिक थी। चूंकि यह सौदा एक करोड़ 40 लाख रुपये में हुआ था। इसलिए परमेश कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते थे। और उन्होंने कागजों में दर्ज रकबे के अनुसार बैनामा कराने को कहा इसी को लेकर बात बिगड़ गयी। सौदा न हो पाने की दशा में परमेश ने अपने 12 लाख रुपये जितेन्द्र से मांगे। जितेन्द्र ने पैसे देने में आनाकानी की। जिसके बाद यह मामला सलोन कोतवाल राम आशीष उपाध्याय के पास पहुंचा। उन्होंने दोनो पक्षों को थाने बुलाया। और जितेन्द्र सिंह से न्याय पूर्वक पैसे वापस करने का अनुरोध किया। सम्भ्रांत लोगों की उपस्थिति में जितेन्द्र सिंह ने दो लाख रुपये छोड़ने का निवेदन किया। जिसे परमेश पटेल ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद एक स्टाम्प पर यह समझौता लिखा गया। और गवाहों ने हस्ताक्षर किये। जितेन्द्र सिंह ने पांच लाख रुपये नकद और पांच लाख रुपये की अदायगी के लिए माहवार चेक देने की हामी भरी। साथ में शर्त भी रखी कि पैसे लेने के परमेश पटेल मुकर न जायें इसलिए वह वीडियो बनायेंगे। लोग सहमत हुये और उस पैसे का वीडियो बना। इसके बाद जितेन्द्र सिंह ने कोई चेक नहीं दिया। परमेश पटेल ने दोबारा सलोन कोतवाली प्रभारी से शिकायत की। चूंकि समझौता कोतवाल राम आशीष उपाध्याय ने अपने सामने कराया था। इसलिए उन्हें जितेन्द्र का मुकरना नगवार गुजरा। इसी बात को लेकर कोतवाल ने जितेन्द्र के पेंच कस दिये। एक राजनैतिक पार्टी के जिलाध्यक्ष होने के नाते जितेन्द्र सिंह को कोतवाल की डांट खुद की बेइज्जती लगी और उन्होने सशर्त बनाये गये वीडियो को वायरल कर दिया। इसके बाद पुलिस विभाग में हड़कम्प मच गया। यहीं नहीं जितेन्द्र सिंह ने पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र देकर कार्यवाही की मांग की है। एसपी ने प्रकरण की जांच सीओ लालगंज को सौंपी है। फिलहाल समझौते के गवाह और मौके पर उपस्थित लोग जितेन्द्र सिंह के आरोप की पोल खोल रहे हैं।

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