आखिर क्यों किसानों के खाते आज भी सूने हैं जिम्मेदार अधिकारी गा रहे मल्हार

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बछरावां रायबरेली — एक तरफ सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए नित नए प्रयास कर रही है और वहीं दूसरी तरफ समर्थन मूल्य खरीद का भुगतान 72 घंटे के अंदर करने के दावे कर रही है। जबकि सच्चाई तो यह है की दो माह से अधिक समय से धान खरीद केंद्रों की गणेश परिक्रमा के बावजूद जिन किसानों का धान खरीदा गया उनका भुगतान आज तक नहीं हुआ है। आलम तो यह है की बछरावा विकासखंड में बन्नावां कालूखेड़ा, कसरावां, रानीखेड़ा और आवश्यक खाद्य वस्तु निगम खरीद केंद्र बछरावां द्वारा सरकार की मंशा के अनुरूप प्रतिदिन 300 कुंटल से लेकर 600 कुंटल खरीद का लक्ष्य था। लेकिन खरीद केंद्रों के प्रभारियों की तानाशाही रवैया से आजिज किसानों को खरीद केंद्रों की गणेश परिक्रमा और बेमौसम बारिश की वजह से एक माह से अधिक समय से खरीद केंद्रों पर धान खरीद बंद है। अब जब मौसम साफ हुआ तो किसान केंद्रों पर जाकर अपने धान बेचने के लिए खरीद केंद्र प्रभारी से बात की तो खरीद केंद्र प्रभारी द्वारा बताया जाता है की अब खरीद बंद हो गई है। वहीं दूसरी तरफ आवश्यक खाद्य वस्तु केंद्र के प्रभारी प्रदीप कुमार शर्मा से खरीद के बारे में जब संवाददाता ने बात की तो बताया कि हमारे सेंटर पर जो भी धान लगा है उसके अलावा किसी किसान का धान नहीं खरीदा जाएगा क्योंकि जिले के उच्च अधिकारियों ने खरीद लॉक कर दी है और भुगतान के बारे में जानकारी की गई तो बताया हमने 28 दिसंबर तक के बिल बनाकर लगा दिए हैं और पेमेंट पी एफ एम एस सिस्टम के तहत जिले के अधिकारी करेंगे। हमारा काम केवल खरीद करके बिल बनाना है। प्रभारी ने बताया कि सरकार की मंशा है की जिस तरह सरकार गन्ना किसानों का भुगतान 6 माह में होता है उसी तरह धान और गेहूं की खरीद का भी भुगतान उसी तरह होगा। जब आप किसान धान सेंटर पर बेचेंगे तो गेहूं खरीद से पहले भुगतान होगा और इसी तरह गेहूं खरीद का भुगतान धान कटाई के समय करने की सरकार की मंशा है। हमारा काम केवल अधिकारियों के आदेशों का पालन करना है वहीं दूसरी तरफ सरकार के आदेशों को ताक पर रखकर प्रभारी के मनमाने रवैए से बछरावा नगर व क्षेत्र के किसान परेशान हैं। जबकि सच्चाई तो यह है कि किसानों का धान खरीद कर आढ़तियों के धान की खरीद कागजों पर करके इतिश्री कर ली जाती है और लक्ष्य प्रतिदिन 600 कुंटल खरीद पूरा की जाती है इस बारे में कई बार किसानों ने उच्चाधिकारियों से शिकायत भी की लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा वहीं दूसरी तरफ किसान बेमौसम बारिश की मार से परेशान और रात दिन की चौकीदारी के बाद जो भी फसल बची उसको समर्थन मूल्य पाने के लिए गणेश परिक्रमा के बाद भी खरीद ना होना और खरीद के बाद दो महीने से अधिक समय से भुगतान ना होना सरकार की मंशा पर उनके ही अधिकारी और कर्मचारी पलीता लगा रहे हैं। लेकिन जिले के आला अधिकारियों भी अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं। इससे यह प्रतीत होता है कि धान खरीद केंद्र पर महा घोटाले में खरीद केंद्र प्रभारियों से लेकर जिले के अधिकारी भी पूरी तरह से मशगूल है।

अनुज मौर्य/अनूप सिंह रिपोर्ट

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