एक संत ने पर्यावरण को बचाने और गंगा की रक्षा के लिए गंगा नदी में डाली ये चीज और पेश की अनोखी मिसाल

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रायबरेली। रायबरेली में एक संत ने पर्यावरण को बचाने और गंगा की रक्षा के लिए गंगा नदी में 51 कुंतल चावल का अक्षत छोड़कर जल जीवो को बचाने के लिए एक अनोखी मिसाल पेश की है ।

दरअसल रायबरेली के गेगासो गंगा तट पर पूरे सावन मास बाबा मुंडमालेस्वर में एक विशाल पूजन का आयोजन किया गया जिसमें रात दिन शिव के मंत्रोच्चार के साथ चावल अक्षत चढ़ाया गया जोकि सवा कुंतल चढ़ाया गया पूजन समाप्त होने के बाद कुछ चावल का अक्षत गौशालाओं में गायों को खाने के लिए भेजा गया और बाकी का अक्षत गंगा नदी में छोड़ा गया गंगा नदी में चावल के अक्षत छोड़ने का कार्यक्रम मंत्रोचार के साथ करीब 5 घंटे तक चला जिसमें 51 कुंतल चावल को गंगा नदी में मौजूद मछली और कछुआ को खाने के लिए छोड़ा गया संत उमेश चैतन्य की माने तो पर्यावरण को बचाने के लिए और देश की रक्षा व गंगा की रक्षा का संकल्प लेकर 1 माह तक गंगा तट पर स्थित बाबा मुण्डमालेस्वर का पूजन किया गया उस दौरान जो चावल का अक्षत चढ़ाया गया उसमें से कुछ गौशालाओं में गायों को खिलाने के लिए भेजा गया और बाकी का बचा करीब 51 कुंतल चावल अक्षत गंगा नदी में मंत्रोचार के साथ छोड़ा गया है जिससे गंगा नदी में पल रहे कछुआ और मछली साथ ही अन्य जल जीव सुरक्षित रह सकें जिससे मां गंगा को साफ रखने और पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके क्यो की जल जीव माँ गंगा को साफ रखंने में अहम भूमिका निभाते है ।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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