कर्नाटक: 11 लोगों की मौत की वजह बने प्रसाद में ज़हर था?

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कर्नाटक के चामराजनगर ज़िले में प्रसाद खाने के बाद 11 लोगों की मौत लापरवाही की वजह से हुई फूड प्वाइजनिंग का आम मामला नहीं दिखता है.

प्रसाद खाने की वजह से 93 लोग बीमार भी हुए हैं, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में दाख़िल कराया गया है. शुक्रवार को लोगों को प्रसाद के रूप में टमाटर मिले चावल दिए गए थे. प्रसाद खाने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी थी.

डॉक्टरों और इस मामले को देख रहे पुलिस अधिकारियों ने संकेत दिया कि ये एक ऐसा हादसा था जिसे अनाम लोगों के फ़ायदे के लिए ‘जानबूझकर’ अंजाम दिया गया.

ज़िले में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी डॉ. के एच प्रसाद ने बताया कि फूड प्वाइजनिंग के दूसरे मामले में मरने वाले लोगों की तुलना में मंदिर का प्रसाद खाने वाले लोगों की मौत जल्दी हुई.

डा. प्रसाद ने बताया, “अगर व्यक्ति की मौत आधे या एक घंटे में हो जाती है तो ये ज़हर है. ज़्यादा आशंका इस बात की है कि ये ऑर्गनो फ़ास्फेरस कंपाउंड था. इतने ज़्यादा लोगों पर प्रभाव होने से लगता है कि इसे ज़्यादा मात्रा में इस्तेमाल किया गया. ”

डॉ. प्रसाद ने बताया कि पुलिस ने खाने और विसरा के सैंपल फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिए हैं. “ये पका हुआ खाना था इसलिए जांच रिपोर्ट आने में दो से तीन दिन लग सकते हैं.”

प्रसाद में था ज़हर?

डॉ. प्रसाद स्वास्थ्य सेवा से जुड़े ऐसे इकलौते व्यक्ति नहीं हैं जो ऐसा संकेत दे रहे हैं कि ये फूड प्वाइजनिंग का आम मामला नहीं था.

मैसूर में सरकार के नियंत्रण वाले केआर हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने भी पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बताया कि उन्हें संदेह है कि ये सीधे तौर पर ज़हर देने का मामला है. प्रसाद खाकर बीमार हुए ज़्यादातर मरीज़ों को इलाज के लिए इसी अस्पताल में भर्ती किया गया.

अस्पताल के दौरे के बाद सिद्धारमैया ने पत्रकारों को बताया, “डॉक्टरों ने मुझे जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक़ ये हादसा नहीं है बल्कि किसी ने खाने में ज़हर मिला दिया है.”

हनूर तालुका के सुलिवाड़ी गांव के श्री किचुकुट्टी मारम्मा मंदिर के आसपास पुलिस के आला अधिकारी 24 घंटे से कम वक़्त के दौरान दो बार तलाशी ले चुके हैं.

वो बर्तनों की भी जांच कर चुके हैं. इन सब हलचल पर नज़र बनाए गांव के लोग भी डॉक्टरों की तरह साज़िश की बात कर रहे हैं.

मंदिर कमेटी में विवाद?

एक स्कूल में पढ़ाने वाले सगाइराज ने कहा, “मंदिर की कमेटी के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गंभीर मतभेद हैं. किसी के ख़िलाफ़ कुछ कहा तो नहीं जा सकता लेकिन इस मामले की मुक्कमल जांच होना ज़रूरी है.”

पास ही खड़े मराथाल्ली के एक व्यक्ति ने कहा, “सर, ध्यान दीजिए, खाना पकाने वाले सारे लोग अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी हालत गंभीर है.” मराथल्ली के 27 लोग मैसूर के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं.

केआर अस्पताल के आईसीयू में भर्ती अपने दोस्त पुट्टास्वामी को देखने आए माधवराज ने बताया, “एरन्ना की 12 साल की बेटी अनीता की शुक्रवार मौत हो गई. एरन्ना भी गंभीर हालात में अंदर भर्ती हैं.”

पांच लोगों से पूछताछ

चामराजनगर की पुलिस ने भी इस बात की पुष्टि की प्रसाद तैयार करने वाले तीनों रसोइये अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी हालात गंभीर है.

मैसूर के आईजी एचसी शरत चंद्र ने बताया, “हम मामले के सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं. मंदिर प्रशासन के बीच कथित झगड़े की भी जांच की जा रही है.”

चामराजनगर के पुलिस अधीक्षक धर्मेंद कुमार मीणा ने बताया, “हमने पांच लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया है. इनमें मंदिर कमेटी के तीन लोग शामिल हैं. ”

ये मंदिर छह दशक से ज़्यादा पुराना है. यहां पूरे कर्नाटक और तमिलनाडु के कई ज़िलों से भक्त आते रहे हैं.

मंदिर का क़रीबी पुलिस थाना रामापुरा है जो मैसूर से क़रीब 130 किलोमीटर की दूरी पर है. इस पुलिस स्टेशन पर एक बार चंदन तस्कर वीरप्पन ने हथियार हासिल करने के लिए हमला किया था. वीरप्पन अक्टूबर 2004 में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था.

गांव में कुछ ऐसे ख़ुशकिस्मत लोग भी हैं जिन्होंने मंदिर का प्रसाद नहीं खाया था. इनमें से एक हैं गुरुस्वामी. उन्हें अस्पताल में भर्ती पत्नी को दवाएं देनी थीं.

गुरुस्वामी कहते हैं, “मैं अपनी बहन को छोड़ने के लिए मंदिर गया था. अब मैं केआर अस्पताल में अपनी बहन के ठीक होने का इंतज़ार कर रहा हूं. देखिए मेरे पास अब भी वो दवाएं हैं जो मुझे अपनी पत्नी को देनी थीं.”

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