गुरुद्वारा प्रकरण : मुंह की खा गए बग्गा, गुरुद्वारे में नियुक्त हो गया रिसीवर

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  • रिसीवर के रूप में अब नायब तहसीलदार सदर देखेंगे गुरुद्वारे का कार्यभार
    रायबरेली। श्री गुरुसिंह सभा गुरुद्वारा की प्रबंध समिति का सिख संगत को अंधेरे में रखकर मनमाने तरीके से पंजीकरण कराकर उसको हथियाने के आरोपी बसंत सिंह बग्गा को जिला प्रशासन ने एक बड़ा झटका देते हुए गुरुद्वारे में रिसीवर नियुक्त कर दिया है। जिला प्रशासन द्वारा बार-बार समझाने के बाद भी अपनी हठद्दर्मिता पर अड़े व्यापारी नेता बग्गा की सारी उम्मीदों पर इस निर्णय ने पानी फेर दिया है। जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री के निर्देश पर सिटी मजिस्ट्रेट जयचन्द्र पाण्डेय ने नायब तहसीलदार सदर तरुण प्रताप सिंह को रिसीवर नियुक्त करते हुए बग्गा से सारे अद्दिकार छीन लिये हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि शनिवार को सरदार बसन्त सिंह बग्गा के विरुद्ध सिख संगत ने जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर मनमाने तरीके से रविवार 28 अक्टूबर को बुलाई गई बैठक को रोकने के साथ सीआरपीसी की द्दारा 145 के अंतर्गत कार्यवाही की मांग की थी। जिसके बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला प्रशासन ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुये गुरुद्वारे के प्रकरण को विधिक प्रक्रिया के दायरे में ला दिया। सिक्ख संगत ने जिला प्रशासन के इस निर्णय की सराहना की है, और जिलाधिकारी को निष्पक्ष कार्यशैली के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया है। गौरतलब है कि सिक्ख संगत ने आरोप लगाया था कि लगभग 50 वर्ष पुराने श्री गुरुसिंह सभा की कमान संभालते ही बसन्त सिंह बग्गा के शातिर दिमाग मेँ धर्मस्थल पर आजीवन कब्जे की योजना आयी। जिस पर उन्होंने भारी भरकम मूल कमेटी व सिख संगत को बिन बताये नौ सदस्यीय प्रबन्ध समिति के साथ नौ सदस्यीय आमसभा का श्री गुरुद्वारा गुरुसिंह सभा समिति के नाम से एक जेबी संस्था का पंजीकरण करा लिया। संगत को जब यह जानकारी हुई तो संगत ने जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगायी। जिस पर तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट आलोक कुमार ने प्रकरण की जांच करने के बाद बग्गा को फटकार लगायी और धार्मिक स्थल के प्रति दूषित भावना रखने से होने वाले नुकसान का भी बोद्द कराया। तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट ने जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री के निर्देश पर बग्गा को रजिस्ट्रार आफ सोसायटीज चिट्स फंड के यहां संगत के साथ हुये समझौते के अंतर्गत संशोधन प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। प्रशासन के सामने बग्गा ने हामी भर ली लेकिन बाद में वह अपने वादे से मुकर गये। जिसके बाद जिला प्रशासन ने उनके विरुद्ध शांति भंग की कार्यवाही करते हुए पाबन्द कर दिया। इसके बावजूद भी बग्गा नहीं माने और उन्होंने सुरेंद्र सिंह मोंगा से 28 अक्टूबर को आमसभा आहूत करने की घोषणा करा दी। जिसके बाद सिख संगत ने प्रशासन की चैखट पर पहुंच कर न्याय की गुहार लगायी। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुये जिलाद्दिकारी संजय कुमार खत्री ने सिटी मजिस्ट्रेट जयचन्द्र पाण्डेय को गुरुद्वारे में विवाद न हल होने तक रिसीवर नियुक्त करने के निर्देश दिये। डीएम के निर्देश के बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने नायब तहसीलदार सदर तरुण प्रताप सिंह को रिसीवर नियुक्त कर दिया। नायब तहसीलदार संगत के पांच वरिष्ठ लोगों को साथ में लेकर गुरुद्वारे की देखभाल करेंगे। नायब तहसीलदार की देखरेख में ही अब गुरुद्वारे का संचालन होगा। इस प्रशासनिक आदेश के बाद बग्गा को तगड़ा झटका लगा है। रिसीवर नियुक्त हो जाने के बाद बग्गा के सारे वित्तीय अद्दिकार भी सीज कर दिये गये हैं। अब वह मनमाने तरीके से गुरुद्वारे के खातों का न संचालन कर सकंेगे और न पैसा निकाल सकेंगे। सरदार अवतार सिंह छाबड़ा, सरदार गुरजीत सिंह तनेजा, सरदार बलजीत सिंह मोंगा एडवोकेट, जोगेंद्र सिंह अरोड़ा, सरदार परमजीत सिंह गांद्दी, जसविंदर गांद्दी, हरभजन मोंगा, त्रिलोचन छाबड़ा आदि ने जिला प्रशासन के निर्णय की सराहना की।

 

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