घाटों के सौन्दर्यीकरण में मानकों की अनदेखी

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डलमऊ (रायबरेली)। भले ही केंद्र सरकार गंगा को संवारने के लिये करोड़ों रुपए खर्च कर रही हो लेकिन कार्यदायी संस्था द्वारा मानकों की जमकर अनदेखी की जा रही है। ‘नमामि गंगे योजना’ के तहत डलमऊ में 16 करोड़ की लागत से पांच गंगा घाटों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है, लेकिन निर्माण कार्य में मानकों की जमकर अनदेखी की जा रही है। कस्बावासी शिवाकांत मिश्र, रोहित शुक्ल, राजेश कुमार आदि ने बताया कि डलमऊ के महावीरन घाट, पक्का घाट आदि में लाल पत्थरों लगना था लेकिन पत्थर के स्थान पर कच्चा ढाला हुआ पत्थर लगाया जा रहा है, जो हलके झटके टूट जाता है, कच्चे पत्थर लगाए जाने से कस्बावासियों में गहरा आक्रोश व्याप्त है, मानक के विपरीत हो रहे निर्माण कार्य को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों से की गई लेकिन शिकायत सिर्फ आश्वासन तक ही सीमित है। सभी घाटों में सीढिय़ां बनाई जानी थी, लेकिन निर्माण एजेंसी इंजीनियर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड़ द्वारा सीढिय़ां न बनाकर सिर्फ जियो बैग लगाकर घाट बनाए जा रहे हैं, जियो बैग बनने से पहले ही फटे पड़े हुये है। जिससे डलमऊ के घाटों पर अस्तित्व का खतरा मडऱाने लगा है। घाटों को एक दूसरे से जोडऩे के लिए बन रही दीवार में पर्याप्त नमी न होने से दीवार में लगा मैटेरियल गिर रहा है। निर्माण कार्य में जंगरोधी सरिया का प्रयोग न कर जंगयुक्त सरिया का प्रयोग किया जा रहा है। घाटों के किनारे मकान बने हुये है और वहीं पर कार्यदायी संस्था द्वारा जेसीबी से खोदाई कर मिट्टी निकाली जा रही है। मिट्टी की वजह से स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है।

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