पत्रकारिता में राष्ट्रीय की भावना जरूरी : सुभाष चंद्र सिंह

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रायबरेली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आद्य पत्रकार देवर्षि नारद की जयंती पर मंगलवार को कृपलानी सरस्वती शिशु मंदिर में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें पत्रकारिता एवं सामाजिक दायित्व विषय पर बुद्धिजीवियों ने अपने विचार रखे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह ने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। पत्रकार जब फील्ड पर निकलता है तो उसके सामने दो दायित्व होते हैं। पहला पत्रकारिता और दूसरा सामाजिक सरोकार। उदाहरण देकर बताया कि अगर कोई शख्स आत्महत्या कर रहा है। उस वक्त ये दोनों दायित्व पत्रकार के दिमाग में घूमते हैं। उसे खबर भी बनानी होती है और जो सामने जल रहा है, उसे बचाने का प्रयास भी करना है। इसी में सामंजस्य स्थापित हो जाए, यही सच्ची पत्रकारिता होगी। संघ और पत्रकारिता पर बोले कि पूर्व में संघ में प्रचार विभाग जैसी संस्था नहीं थी। जिससे संघ की वास्तविक छवि से अतिरिक्त छवि समाज में बनती चली जा रही थी। मगर जब प्रचार विभाग बना तो संघ के समाजहित के क्रियाकलाप आमजन को पता चलें। मन से भ्रम हटा कि ये सामाजिक संगठन है न कि कट्टरवादी। इसमें सभी वर्गों, सभी धर्मों के लोग सहभागिता कर सकते हैं। इसका उद्देश्य देश की एकता और अखंडता को मजबूत करते हुए व्यक्ति निर्माण करना है।

विभाग संघ चालक अमरेश बहादुर सिंह ने बोला कि यह कार्यक्रम संघ के स्वयंसेवकों और पत्रकारिता जगत से जुड़े बुद्धिजीवियों को आपस में जोड़ने के लिए हर वर्ष ये कार्यक्रम किया जाता है। उन्होंने ऋषि नारद का उदाहरण देते हुए कहा कि वह निष्पक्ष होकर सूचनाओं का अादान-प्रदान करते थे। इसलिए हर जगह उनका सम्मान होता था। पत्रकार भी निष्पक्ष होकर काम करतें है तो उन्हें भी हर प्लेटफार्म पर सम्मान मिलना चाहिए। प्रांत प्रचारक प्रमुख डा अशोक दुबे ने भी पत्रकारिता और संघ के समन्वय पर विचार रखे। कहा कि पत्रकारिता में राष्ट्रीयता की भावना होनी चाहिए। साथ ही पत्रकारों का सम्मान और सुरक्षा होनी चाहिए। जिससे आद्य पत्रकार नारद जी जैसी मनोभाना से सभी लोग उनको देखें। इस मौके पर सह जिला कार्यवाह गएंदु सिंह, जिला सेवा प्रमुख रमेश, शिवांशू, करन सिंह आदि मौजूद रहे। संचालन निरंकार ओम ने किया।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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