मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर चले गए बीनू

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सताँव (रायबरेली)। कम उम्र में समाज सेवा का जुनून उन्हें सफलताओं के चरमोत्कर्ष तक ले गया, लेकिन नियति को शायद यह नागवार गुजर रहा था, तभी तो काल के क्रूर पंजे उन्हें असमय ही दबोच ले गये। छत्तीस साल के जिन्दादिल इन्सान शैलेन्द्र उर्फ बीनू तिवारी की अकाल मृत्यु ने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया। अपने पीछे दो पुत्र, पत्नी व भरापुरा परिवार छोड़ कर दिवंगत हो गये बीनू तिवारी का अन्तिम संस्कार बुधवार को डलमऊ गंगाघाट पर किया जायेगा।

शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्तिकारी उपलब्धियां हासिल करने वाले राम दुलारे तिवारी इन्टर कालेज, (ढकिया) के संचालक, युवा समाजसेवी शैलेन्द्र तिवारी उर्फ बीनू का निधन हो गया। उन्होंने मंगलवार की दोपहर बाद लखनऊ के जावित्री हास्पिटल में अन्तिम सांस ली। उल्लेेखनीय है कि श्री तिवारी सोमवार की देर शाम अपने कोरिहर स्थित आवास से रायबरेली जा रहे थे, लेकिन सई नदी के राजघाट पुल के पास उनकी बाइक फिसल गयी, जिसमें चोटिल हुये शैलेन्द्र को इलाज के लिए लखनऊ ले जाया गया था। वहीं उनकी मृत्यु हो गयी। क्षेत्र में बीनू तिवारी के उपनाम से चर्चित शैलेन्द्र तिवारी महज पन्द्र्रह वर्ष की अल्पायु से ही जिम्मेदारियों का अहसास करने लगे थे, यही कारण था कि पढ़ाई के साथ-साथ वे पारिवारिक व सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने लगे थे। 1997 में उनके पिता ने जब राम दुलारे तिवारी इंटर कालेज की स्थापना की तब वे हाईस्कूल के छात्र थे लेकिन शीघ्र ही वह विद्यालय संचालन में प्रमुख भूमिका निभाने लगे। शैलेन्द्र की काबिलियत को भांपकर कांग्रेस ने उन्हें न्याय पंचायत कोरिहर का अध्यक्ष बना दिया। वित्तविहीन शिक्षक महासभा के ब्लाक अध्यक्ष रहते हुये बीनू ने शिक्षकों के लिए अनेक संघर्ष किया। श्री तिवारी की मौत से शिक्षा व राजनीतिक क्षेत्र गमगीन है। अनेक लोगों ने बीनू तिवारी की मौत पर गहरी संवेदनायें व्यक्त की हैं। बीनू तिवारी के दो बच्चे व भरापुरा परिवार शोकाकुल है।

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