रावण के वध के साथ खत्म हुआ रावण का अहंकार

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परशदेपुर (रायबरेली)। नगर पंचायत परशदेपुर क्षेत्र में चल रही में रामलीला कमेटी के तत्वावधान में आयोजित रामलीला में मेघनाद, रावण वध का शानदार मंचन हुआ।

परशदेपुर में रामलीला की शुरुआत करीब300 साल पहले की गई थी।उस समय से लेकर वर्तमान तक रामलीला में हिन्दू-मुस्लिम दोनो समुदाय के लोग बराबर सहयोग करते है। खास बात यह है कि इसमें सभी जाति के लोगो का दायित्व पुर्वजो के जमाने से चाल आ रहा है।

रविवार शाम परशदेपुर की रामलीला में लक्ष्मण मेघनाद का शीश काटकर फेंक देते हैं, व भुजा काट कर अपने साथ ले जाते हैं। मेघनाद की कटी भुजा पत्नी सुलोचना के महल में गिरती है, जिसको देखकर सुलोचना व्याकुल होती है और राम के पास पहुंच जाती हैं। मेघनाद का कटा शीश सुलोचना को दे दिया जाता है। कुंभकरण-मेघनाद वध के बाद रावण अपने पुत्र अहिरावण के युद्ध भूमि में भेजते हैं। हनुमान उनका वध कर देते हैं।मंदोदरी रावण को समझाती है कि राम की शरण में चले जाएं, लेकिन रावण नहीं मानता। इसके बाद राम और रावण का युद्ध होता है। राम अनेकों शस्त्रों से भी रावण का वध नहीं कर पाते हैं। तब विभीषण राम से कहते हैं कि रावण की नाभि में अमृत है और जब तक वह सूखेगा नहीं, रावण की मृत्यु असंभव है। तब राम अग्नि बाण का प्रयोग कर रावण की नाभि पर प्रहार करते हैं, जिससे नाभि का अमृत सूख जाता है और रावण की मृत्यु हो जाती है।

मंचन में इनकी है विशेष भूमिका
रामलीला में राम की भूमिका दीपक मिश्रा,लक्ष्मण की हिमांशु मिश्रा,हनुमान की सजंय, सीता की अंश उपाध्याय , विभीषण की राम किशुन गौतम, नारद की दयाशंकर,अंगद विशेष मिश्रा, मेघनाथ की अजय पांडेय, कुंभकर्ण की रिंकू मिश्रा,अहिरावण की चुन्ना मिश्रा, सुलोचना रंजीत शर्मा, रावण की आशीष मिश्रा निभाई।

रामलीला में भोलानाथ तिवारी, राम आसरे जगदीश गुप्ता,रिंकू मिश्रा, विनय,महेश,राजू मिश्रा,चन्दन मोदनवाल, आदि लोग मौजूद रहे।

शम्शी रिजवी रिपोर्ट

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