वन विभाग के संरक्षण में कटर माफियाओं की बल्ले-बल्ले

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महराजगंज (रायबरेली)। अवैध कटर बंद कराने व संचालको पर कार्यवाही करने के बजाए वन दरोगा और कटर माफियाओं की मिलीभगत की बात बाजार में उजागर होने एवं बदस्तूर कटर मशीनों के चलने से क्षेत्र में वन विभाग एवं वन दरोगा की कार्यशैली पर चर्चा चहुँओर हो रही हैं।

कोतवाली क्षेत्र के बसालत नगर, जेतुआ टप्पे बिझुवन, असर्फाबाद आदि गांवों में अवैध गुटका कटर मशीने धड़ल्ले से संचालित हैं। इन कटर मशीनों का पंजीकरण तक वन विभाग में नही हो रहा हैं। बावजूद इसके वन दरोगा के संरक्षण में यह व्यापार दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति कर रहा हैं। ‘‘अब जब सैंया हैं कोतवाल तो डर काहे का’’ की तर्ज पर चल रहे गोरखधंधे पर कटर माफियाओं को जिलाधिकारी एवं जिला वन अधिकारी तक का खौफ मिलकुल नहीं रह गया। नाम न छापने की शर्त पर एक कटर माफिया ने बताया की साहब का हिस्सा समय से पहुंच जाता था, जिससे धन का बंदरबाट ऊपर से नीचे तक पहुंचता रहता था। किन्तु अबकी होली का त्योहार नजदीक देख वन दरोगा द्वारा महीनवारी की रकम दुगुनी कर दी गयी हैं जिससे कटर संचालको एवं साहब के बीच खटपट चल रही लेकिन वह डिमांड भी ले दे कर बराबर हो जाएगी। मालूम हो की आचार संहिता लागू हैं जिसके तहत चुनाव आयोग ने तीन वर्ष से अधिक समय तक एक ही जगह टिके रहने वालों पर सख्ती बरतें हैं। लेकिन पिछले पांच वर्षों से एक ही जगह पर टिके अमावां वन दरोगा पद का निर्वहन करने वाले सुभाष शर्मा पर विभाग के आला हाकिम ही मेहरबान हैं। अब देखना हैं इन अवैध कटर का धंधा क्षेत्र में ऐसे ही फलता फूलता हैं या भ्रष्ट नौकरशाही पर जिलाधिकारी एवं चुनाव आयोग द्वारा कठोर कार्यवाही भी संभावित होती हैं।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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