वायरल तस्वीर का सच : रिक्शे से दादी का अस्पताल लाना संवेदना से जुड़ा नहीं बल्कि उनका शौक है!

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रायबरेली। 10 वर्ष के मासूम के हाथों में रिक्शा, रिक्शे में लेटी एक बीमार वृद्ध महिला और रिक्शे के साथ दो-चार लोगों की भीड़। निश्चित ही यह तस्वीर संवेदना को झकझोर देने वाली थी। एक बच्चा अपनी बीमार दादी को जब अस्पताल लेकर पहुंचा तो लोगों की उत्सुकता उन्हें रिक्शे तक खींच लाई। अस्पताल अपना इलाज कराने आए कुछ लोग जो बीमार दादी के बारे में नहीं जानते थे उन लोगों ने इस घटना को संवेदनात्मक रूप से लिया लेकिन अस्पताल का स्टाफ और वह चिकित्सक जो करीब 5 वर्षों से दादी को इसी तरह से  आते देख रहे हैं उन लोगों के लिए यह कोई नई यह संवेदना से जुड़ी घटना नहीं थी बल्कि दादी का रसूख था जो अक्सर रिक्शे से अस्पताल आता था। 10 वर्षीय छात्र गोपाल पुत्र राजकुमार अपनी बीमार दादी सूरसती (55) पत्नी स्वर्गीय बिंदादीन निवासी बैरहना रेलवे स्टेशन को माल ढोने वाले रिक्शे पर लिटा कर जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के अंदर रिक्शा सहित पहुंच गया लोगों ने एक बालक के साथ रिक्शे से इलाज कराने आई दादी की तस्वीरें कैमरे में कैद की और सोशल मीडिया पर सहानुभूति पूर्वक भेजना शुरू कर दिया। बीते करीब 5 सालों से दादी का इलाज कर रहे जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीरबल बताते हैं कि वर्षों से दादी इसी अंदाज में अस्पताल आती है। बकौल डॉ. बीरबल दादी का यह रिक्शा चाहे ओपीडी हो या इमरजेंसी वार्ड सीधा डॉक्टर के पास ही आकर रुकता है। यही नहीं दादी की पलटन जो साथ आती है वह वार्ड में ही खाना पीना शुरु कर देती। डॉ बीरबल ने बताया कि दादी को कई बार समझाया गया लेकिन वह नहीं मानती हैं और हर बार रिक्शे में इसी तरह आती हैं। फिलहाल जिस तरह से सोशल मीडिया पर जिला अस्पताल की वायरल तस्वीर को भावनात्मक रूप से प्रस्तुत किया जा रहा है वैसा है नहीं। “कंचन टुडे न्यूज़ नेटवर्क” की टीम ने जब सच्चाई पड़ताल करने के लिए गोपाल से बातचीत की तो गोपाल ने भी बताया कि अक्सर दादी रिक्शे से ही अस्पताल आती है। उसने कहा कि वो रिक्शा संभालता है और कुछ लोग धक्का देते हैं। इससे पहले भी वह कई बार दादी को अस्पताल ला चुका। फिलहाल है रिक्शा वाली दादी का अस्पताल आना चर्चा का विषय रहा।

अनुज मौर्य की रिपोर्ट

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