शरीर को निरोग रखने में उत्तम विद्या है एक्यूप्रेशर चिकित्सा: स्वामी देवानन्द गिरि

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रायबरेली। रिफार्म क्लब परिसर में चल रहे एक्यूप्रेशर चिकित्सा शिविर में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि स्वामी देवानन्द गिरि महराज बड़ा मठ डलमऊ ने भारतीय चिकित्सा पद्यति एक्यूप्रेशर पर बोलते हुए कहा कि शरीर को निरोग रखने में एक्यूप्रेशर चिकित्सा एक उत्तम विद्या है। भारतीय संस्कृति में पुरूष वेष-भूषा जैसे जनेऊ कर्ण छेदन, हाथ में कड़ा, कलाई में धागा बांधना, सिर पर साफा, टोपी तथा महिलाएं ऋगांर का जो आभूषण पहनती हैं उससे सवास्थ का गहरा सम्बन्ध होता है। जिसके पहनावे से नाना प्रकार के रोग स्वतः दूर हो जाते हैंे। लेकिन आज के आधुनिक जीवन में पुरानी पद्यतियों को लोग भूलते जा रहे हैं और प्रकृति से दूर होते चले जा रहे हैं। जिससे तमाम असाध्य रोग शरीर को घेर लेते हैं। अगर समय रहते एक्यूप्रेषर चिकित्सा को अपनाएं तो जटिल से जटिल रोग ठीक हो सकते हैं। उन्होंने लोगों से आवहन किया कि इस भारतीय चिकित्सा पद्यति को अपना कर लोग अपना व अपने परिवार का इलाज कर सकते हैं। षिविर संचालक डा. भगवानदीन यादव ने कहा कि एक्यूप्रेषर चिकित्सा ऋशि मुनियों की धरोहर है जिसको अपना कर जटिल से जटिल रोगों का इलाज सम्भव है। डा. यादव ने कहा कि इसके बिन्दु हाथ के पंजे एवं पैर के तलुओं में स्थित होते हैं जिनको दबाव देकर गठिया, सर्वाइकल, मोटापा, कमर दर्द, जोड़ों का दर्द, बवासीर, लिकोरिया, मासिक धर्म, बालों का झड़ना, आंख-कान, साइनस, एनीमिया, अर्थराइटिस, एड़ी का दर्द, खुजली, एक्जिमा आदि रोगों का उपचार किया जाता है। इस अवसर पर समाज सेविका अमिता सिंह ने कहा कि एक्यूप्रेषर चिकित्सा महिलाओं के लिए कारगर चिकित्सा पद्धति है, जिसे महिलाएं सीख करके अपने को निरोग रख सकती हैं। इस अवसर पर अनुज कुमार यादव ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए कहा कि चिकित्सा षिविर में दूर-दूर से लोग आकर लाभान्वित होते हैं। चिकित्सा षिविर प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक चल रहा है। गोश्ठी में गिरिजा शंकर, मुकेष कुमार, दीपू, जितेन्द्र कुमार, तसमीन, कु. रंजना, किरन, गायत्री अग्रवाल, अर्चना गुप्ता आदि उपस्थित रहे।

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