सरकार ने पेट्रोल, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती से किया इंकार, नहीं मिलेगी राहत: सूत्र

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वहीं जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 28 सितंबर को तय है लेकिन बैठक के एजेंडे में पेट्रोल-डीजल की कीमत नहीं है. यानी कीमतों के विरोध को लेकर सरकार परेशान नहीं है.

नई दिल्लीः सरकार ने पेट्रोल, डीजल पर फिलहाल एक्साइज ड्यूटी कटौती से इनकार किया है. एक सीनियर ऑफिसर ने सोमवार को यह बात कही. उसका कहना है कि केन्द्र और कुछ राज्य सरकारें इस तरह का कदम उठा कर उससे होने वाली संभावित राजस्व घाटे को उठाने की स्थिति में नहीं हैं.

जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 28 सितंबर को लेकिन एजेंडे में पेट्रोल-डीजल की कीमत नहीं
वहीं जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 28 सितंबर को तय है लेकिन बैठक के एजेंडे में पेट्रोल-डीजल की कीमत नहीं है. यानी कीमतों के विरोध को लेकर सरकार परेशान नहीं है. वैसे, वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने साफ कर दिया है कि पेट्रोल-डीजल से एक्साइज ड्यूटी घटाने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है. दरअसल, सरकार का मानना है कि एक्साइज ड्यूटी में कटौती का असर विकास के काम पर पड़ सकता है.

राज्य सरकारें भी जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में नहीं
इतना ही नहीं पेट्रोल और डीज़ल को जीएसटी में शामिल करने की मांग पर भी मंत्रालय का रुख सकारात्मक नहीं दिख रहा है. सूत्रों की मानें तो पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में राज्य सरकारें भी नहीं हैं. राज्यों को लगता है कि जीएसटी के तहत लाने पर उनकी कमाई पर बुरा असर पड़ेगा, जबकि उनकी माली हालत पहले से ही ठीक नहीं है. यानी लोगों को फिलहाल कीमतों में राहत मिलेगी ऐसा नहीं लगता है.

सीनियर अधिकारी ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि एक्साइज ड्यूटी कटौती का केन्द्र के राजकोषीय घाटे पर असर होगा जबकि बिहार, केरल और पंजाब जैसे कुछ राज्य हैं जो कि इन ईंधनों पर बिक्री कर या वैट घटाने की स्थिति में नहीं हैं. सरकार का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम आने वाले दिनों में कम होंगे. कच्चे तेल के दाम बढ़ने और डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर घटने की वजह से इन दिनों पेट्रोल, डीजल के दाम नई ऊंचाईयों को छू रहे हैं.

अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचे पेट्रोल-डीजल के दाम
सरकारी अधिकारी की तरफ से यह टिप्पणी ऐसे समय की गई है जब कांग्रेस के नेतृत्व में तमाम विपक्षी दलों ने पेट्रोल, डीजल के आसमान छूते दाम के खिलाफ राष्ट्रव्यापी बंद का आयोजन किया है. दिल्ली में पेट्रोल के दाम इस समय 80.73 रुपये प्रति लीटर के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच चुके हैं जबकि डीजल का दाम 72.83 रुपये प्रति लीटर की नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है. यहां यह उल्लेखनीय है कि दिल्ली में पेट्रोल, डीजल के दाम देश के दूसरे महानगरों की तुलना में सबसे कम रहते हैं, क्योंकि दिल्ली में इन ईंधनों पर मूल्य वर्धित कर यानी वैट सबसे कम है.

दो राज्यों ने घटाए दाम
अधिकारी ने कहा कि जो भी उपभोक्ता पेट्रोल, डीजल की खपत करते हैं उन्हें उसकी कीमत चुकानी चाहिये. राजस्थान ने हालांकि, रविवार को पेट्रोल, डीजल पर वैट दर में चार फीसदी कटौती की घोषणा की है जबकि आंध्र प्रदेश ने सोमवार को बिक्री कर में कटौती कर इनके दाम में प्रत्येक में दो रुपये की कटौती की है.

अधिकारी ने कहा, ‘पेट्रोल, डीजल पर टैक्स में कटौती से राजकोषीय घाटा बढ़ेगा. केन्द्रीय स्तर पर राजकोषीय घाटे की स्थिति से ही बॉंड बाजार में प्रतिफल का निर्धारण होता है. राजकोषीय घाटा बढ़ने से रुपया भी कमजोर पड़ेगा.’ उन्होंने कहा, ‘करों में कटौती से आपको विकास कार्यों पर होने वाले खर्च में कटौती करनी पड़ेगा. कर कटौती का यह सबसे बड़ा खामियाजा होगा.’

राजस्व में आती है कमी
अधिकारी ने कहा कि इस मामले में राहत तभी दी जा सकती है जब सरकार की वित्तीय स्थिति मजबूत हो. राज्यों में इतनी क्षमता नहीं है कि वह टैक्स की दरें कम कर सकें. पेट्रोल, डीजल टैक्स में एक रुपया प्रति लीटर की कटौती से राजस्व में सालाना आधार पर 30,000 करोड़ रुपये की कमी आती है.

उन्होंने कहा, ‘‘हम पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स में कटौती तभी कर पायेंगे जब आयकर और जीएसटी के मामले में अनुपालन बेहतर होगा. जब तक यह स्थिति नहीं बनती है तब तक हमारी तेल पर टैक्स से होने वाली आय पर निर्भरता बनी रहेगी.’’ पेट्रोल, डीजल के दाम मध्य अगस्त से तेजी में हैं. कच्चे तेल के दाम बढ़ने और रुपये की विनिमय दर गिरने से रोजाना इनके दाम बढ़ रहे हैं. इस दौरान पेट्रोल के दाम 3.65 रुपये और डीजल का दाम 4.06 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुका है. पिछले साल मध्य जून से जब दैनिक आधार पर इनके दाम में संशोधन शुरू किया गया किसी एक माह में यह सबसे बड़ी बढ़ोतरी हुई है.

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