रायबरेली। सीखने व पढ़ने की कोई उम्र नही होती आदमी तउम्र सीखता व पढ़ता रहता है जिस तरह डेंश व समाज व परिवार में रहकर लोगो को अनुभव प्राप्त होते है उसी तरह किसी भी उम्र में पढ़ाई कर्जे ज्ञानार्जन करना व्यक्ति के लिए काफी लाभकार होता है जब नव जवानों के बीच मे 73 साल का बुजुर्ग सीखने की ललक रख रहा हो तो ये आजकल के नव जवानों के लिए बहुत बड़ी प्रेडना होगी जो एक बार फेल होकर मायूसी के आगोश में समा जाते हो उन छात्रो के लिए रायबरेली के कृष्ण बहादुर सिंह मिशाल के रूप में है।
जी हां हम बात करते है कृष्ण बहादुर सिंह की जो रायबरेली शहर के भदोखर थाना क्षेत्र के देदानी गाव के रहने वाले है और एक निजी स्कूल में इंटर मीडिएट में अंग्रेजी के लेक्चरर भी है । दरअसल कृष्ण बहादुर सिंह ने 1974 में अंग्रेजी विषय मे परास्नातक डिग्री प्राप्त की थी लेकिन उनकी अंक तालिका खो गई जिसके बाद उस अभिलेख की चाहत में उन्होंने फिर से 73 साल की उम्र में एकबार फिर फिरोज गांधी डिग्री कालेज में दाखिला लेने का फैसला किया। उनसे जब डिग्री को लेकर अब क्या करेंगे के विषय मे बात की गई तो उनका कहना है कि पढ़ने की कोई उम्र नही होती और अभी भी मेरा हौसला बुलंद है कि मैं अंग्रेजी विषय मे पढ़ कर समाज व गाव में अपने ज्ञान का प्रसार व उन लोगो के लिए प्रेडना बनना चाहता हु जो एक बार फेल होकर अपनी पढ़ाई छोड़ देते है या फिर हताश निराश होकर आत्महत्या तक कर लेते है।
अनुज मौर्य रिपोर्ट