करसड़ा उजड़े बस्ती में जननायक बिरसा मुंडा की जयंती मनाई गई

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वाराणसी, रोहनियां
जीवनपर्यंत अंग्रेज़ी हुकूमत के ख़िलाफ़ लड़ने वाले जन, जंगल व जमीन बचाव के महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, जननायक, प्रकृति रक्षक बिरसा मुंडा की जयंती बीते 29 अक्टूबर को सरकारी अमले द्वारा करसड़ा गांव के उजाड़े गए मुसहर बस्ती के पीड़ित लोगों द्वारा मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत धरती आबा बिरसा मुंडा जी के जीवनी को याद कर किया गया। साथ ही उजाड़े गए मुसहर बस्ती को पुनः बसाने को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। पीड़ितों के द्वारा सरकार से मांग की गई है कि हमारी बस्ती को यथावत रखे। अगर सरकार बस्ती को यथावत रखते हुए पुनः तोड़े गए मकानों को जल्द नहीं बनाया गया और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए हमें मुआवज़ा नही दिया गया तो भविष्य में हमारे द्वारा बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए दलित फ़ाउंडेशन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने कहा कि बिरसा मुंडा ब्रिटिश शासन के अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई थी। किसानों की जमीनों को अंग्रेजों से मुक्त कराकर भूमि का स्वामित्व दिलवाया। लगान माफ कराया। उन्होंने कम आयु में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। बिरसा और उनके शिष्यों ने क्षेत्र की अकाल पीड़ित जनता की सहायता करने की ठान रखी थी और यही कारण रहा कि अपने जीवन काल में ही उन्हें एक महापुरुष का दर्जा मिला/ उन्हें लोग “धरती बाबा” के नाम से पुकारा और पूजा करते थे. दिवि वेलफ़ेयर सोसायटी से जुड़े बीरभद्र सिंह ने कहा कि इस महान पुरुष को देशवासी उनके किए गए कार्यों की बदौलत भगवान मानते हैं हम युवाओं को उनकी जीवनी के बारे में जानने की जरूरत है एवं उनके किए गए कार्यों को समझने की आवश्यकता, बिरसा मुंडा युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत थे। हमें उनकी जीवनी से सीख लेने की आवश्यकता है। जल, जंगल, जमीन के साथ स्वाभिमान और पहचान को बचाने के लिए लड़ते हुए बिरसा मुंडा ने अपने प्राण की आहूति दे दी थी, बिरसा ने अन्याय व शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने एवं संगठित होकर समाज के लिए लड़ने का संदेश दिया है। इस अवसर पर राजकुमार गुप्ता, महेंद्र राठौर, बीरभद्र सिंह, अर्पिता सिंह, सोनम, सौरभ सिंह, राजेश कुमार, सोमरा देवी, बुद्धुराम, राहुल, मुनीब, सदानंद, विजय, शंकर आदि लोग उपस्थित थे।

राजकुमार गुप्ता रिपोर्ट

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