जेट एयरवेज के कर्मियों ने सरकार से अपील की; घर छोड़ने तक की आई नौबत

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कर्मचारियों के सामने अब आजीविका की समस्या खड़ी हो गई है. कुछ लोडर्स ने अपनी पत्नी के गहने गिरवी रख दिए हैं, कुछ इंजीनियर्स ने अपनी गाड़ी बेच दी है और कुछ लोग महीने की ईएमआई डिफॉल्ट कर गए हैं. जेट एयरवेज के बंद होने से करीब 22 हजार लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज ने अस्थायी तौर पर विमानों का परिचालन बंद कर दिया है. एक दिन पहले बुधवार मध्यरात्रि को उसकी अंतिम उड़ान अमृतसर से रवाना हुई थी. जेट एयरवेज पिछले पांच साल में बंद होने वाली सातवीं एयरलाइन कंपनी है. इसके बाद कर्मचारियों के सामने अब आजीविका की समस्या खड़ी हो गई है. कुछ लोडर्स ने अपनी पत्नी के गहने गिरवी रख दिए हैं, कुछ इंजीनियर्स ने अपनी गाड़ी बेच दी है और कुछ लोग महीने की ईएमआई डिफॉल्ट कर गए हैं. जेट एयरवेज के बंद होने से करीब 22 हजार लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. इसमें हाई स्किल्ड से लेकर सेमी-स्किल्ड तक शामिल हैं और उन्होंने दिल्ली में सरकार से साइलेंट अपील की कि वह इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाए. उनके सामने अब बच्चों की फीस भरने तक की समस्या खड़ी हो गई है.

कर्मियों ने दिल्ली में जुटकर विरोध प्रदर्शन की बजाय अपील किया

जेट एयरवेज के बंद होने से प्रभावित कर्मी दिल्ली में जंतर मंतर पर जुटे. एक सीनियर पायलट रोहित चौधरी ने इसे विरोध प्रदर्शन की बजाय साइलेंट अपील कहा. वह 21 साल से जेट एयरवेज में काम कर रहे हैं और उनकी पत्नी भी 16 साल से जेट एयरवेज में पायलट हैं. जेट एयरवेज में 24 साल से काम कर रहे चंद्रशेखर मंडल ने कहा, मुझे भरोसा ही नहीं हो रहा कि आज मेरे पास कोई काम नहीं है. आशा करता हूं कि एयरलाइन के विमान एक बार फिर उड़ेगी. मंडल दिल्ली एयरपोर्ट में लोडर्स के सुपरवाइजर हैं. 19 साल से कंपनी में काम कर रहे एक इंजीनियर मनीष ने कहा कि उन्हें एयरलाइन के इस तरह बंद होने का कोई अंदेशा ही नहीं था. उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने अपनी गाड़ी बेच दी है और कुछ लोगों ने अपने फिक्स्ड डिपॉजिट्स निकाल लिया. कंपनी के साथ 17 साल से जुड़े हुए एक इंजीनियर रितेश ने बताया कि कुछ कर्मियों की अनिवार्य जरूरतों के लिए चंदा भी जुटाया गया है.

पारदर्शिता के अभाव से छाया संकट

एक सीनियर पायलट का मानना है कि जेट एयरवेज के संकट की मुख्य वजह पारदर्शिता है. उन्होंने कहा कि एयरलाइन मैनेजमेंट और सरकार के बीच फंडिंग को लेकर पारदर्शी बातचीत का अभाव के कारण एयरलाइन पर संकट आया है.

सिर्फ एयरकर्मी ही नहीं, आउटलेट्स भी प्रभावित

जेट एयरवेज के बंद होने का असर सिर्फ विमान कंपनी में काम करने वाले कर्मियों पर ही नहीं पड़ा है. एयरलाइन के स्टेशन मैनेजर अभिजीत अंगोलकर के मुताबिक इसके कारण एयरपोर्ट पर आउटलेट्स और ट्रैवल एजेंट्स भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. वह कंपनी के साथ 26 साल से जुड़े हुए हैं. जेट एयरवेज के साथ कई कर्मी पिछले 20 साल से जुड़े हुए हैं और अब उनके लिए दूसरी नौकरी पाना बहुत मुश्किल भरा कदम है. ऐज फैक्टर आड़े आ रहा है. इसके अलावा कुछ लोगों को जॉब भी मिल रहा है तो सैलरी पहले से आधी ही ऑफर हो रही है.

कांट्रैक्ट पर काम कर रहे लोडर्स और ड्राइवर्स भी सैलरी ड्यू होने के कारण वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं. उनमें से एक राजीव कुमार ने कहा कि बच्चों के ट्यूशन फी और एडमिशन फीस तक भरना अब मुश्किल हो गया है. जेट एयरवेज के कॉमर्शियल डिपॉर्टमेंट में काम करने वाली वैशाली ने बताया कि कुछ लोग जो किराए पर रह रहे हैं, उनके मकान मालिकों ने किराया नहीं मिलने पर मकान कमरा खाली करने को भी कह दिया है.

‘नौकरी बचाने की कोशिश हो, रोजगार बाद में निर्माण होगा’

जेट एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आशीष कुमार मोहंती ने कहा कि एयरलाइन को तुरंत फंड दिया जाना चाहिए. इससे मौजूदा लोगों के रोजगार को बचाने की कोशिश की जानी चाहिए. नए रोजगार का निर्माण बाद में किया जाएगा.

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