बनारस में अमीरों के शान के लिए उजाड़ दिए गए गरीब मजलूम

12

बनारस में अमीरों के शान के लिए उजाड़ दिए गए गरीब मजलूम

रसूखदार की शिकायत पर हटाएँ गए रेहड़ी पटरी वाले

-ठेला पटरी व्यवसायियों को उजाड़ने को गैरकानूनी बताया

  • कहा, यहां खुले आम हो रहा आजीविका संरक्षण फेरी नीति कानून 2014 का उल्लंघन

वाराणसी. मिर्जामुराद – बनारस में कोरोना आपदा काल और बारिश के मौसम के बावजूद बेनीपुर के ठेला पटरी व्यवसायियों को उजाड़ा जा रहा हैं, कहते हैं कि जिसका कोई नही उसका खुदा होता है यारों। परंतु ऐसा लगता है कि बेनीपुर नहर के बगल में रेहड़ी पटरी वालों गरीबों के लिए खुदा भी नहीं है। बता दें कि ज्ञानपुर नहर के एक तरफ़ दुकानें लगाकर उनकी रोजी-रोटी जिससे चलती थी वो सहारा छोटी सी दुकान को इस कदर उजाड़ा गया है कि कई लोग सड़क पर आ गए हैं। यह हाल तब है जब इनके लिए 2014 में ही तत्कालीन केंद्र सरकार कानून पास कर चुकी है, लेकिन उस कानून का कम से कम बनारस में तो पालन होता नहीं दिख रहा है। नतीजा ठेला-खोमचा और पटरी व्यवसायी बेहाल हैं, उनकी रोजी रोटी छिन गई है। कैसे परिवार का भरण पोषण करें, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

यहाँ के अमीरों के शान के लिए उजाड़ दिए गए गरीब मजलूम

ज्ञानपुर नहर के किनारे ऐसे तमाम गरीब बेसहारा लोग हैं जो विगत कई साल से ठेला खोमचा लगाकर अपनी रोजी रोटी चला रहे थे। अब इनके ही क्षेत्र के रसूखदार की शिकायत पर रेहड़ी पटरी वाले दुकानें पुलिस के संरक्षण में हटा दी गई। यह सब तब है जब ये सभी नियमित रूप से इन जगहों पर निवास तथा व्यापार करते रहे। इन लोगों के नाम, मतदान परिचयपत्र, बिजली पानी का बिल तथा अन्य सरकारी देनदारी अदा करने की रसीदें भी हैं मगर रसूखदारो के इशारे पर प्रशासन ने किसी पर तवज्जो नहीं दिया और उजाड़ कर ही दम लिया।

खता किसी की सजा किसी को

कुछ महिला व पुरूषों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक की खता पर सबको सजा। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले क्षेत्र के एक रसूखदार की गाड़ी एक ठेले से टकरा गई थी। जिससे विवाद हो गया था। जब पुलिस के साहब लोग हमारे दुकानों को उजाड़ रहे थे। हमलोगों ने पुलिस के साहब से पूछा था कि हमलोगो का क्या कसूर है? इस पर उन्होंने बताया था कि हम क्या करेंगे। किसी ने ऊपर शिकायत की है। पीड़ितों का यह भी कहना था कि सैकड़ों नहीं हजारों लोग अतिक्रमण कर बड़ी-बड़ी दुकाने चला रहे हैं। यहीं कितने बड़े रसूख वाले लोग सरकारी जमीन पर पक्का घर बना लिए हैं। उनको कोई कुछ नही कहता है। लेकिन हम गरीब लोग दुकान लगाकर आजीविका चलाते थे तो हमें उजाड़ दिया गया है। क्या जिले में गरीबों के लिए अलग कानून है और अमीरो के लिए अलग। हम गरीबों को उजाड़ने वाले को हम गरीबो की आह जरूर लगेगी।

लड़ी जाएगी हक की लड़ाई

बेनीपुर के ठेला पटरी व्यवसायियों दुकानदारों के साथ जो हुआ, उसकी स्थानीय सामाजिक संगठनों ने तब भी निंदा की थी और अब भी उन उजाड़े गए दुकानदारों के साथ वो खड़े हैं। दुकानदार निर्धारित स्थान पर दुकान में रोजगार कर रहे थे लेकिन उत्पीड़न उनका ही हुआ। उत्पीड़न के शिकार दुकानदार और सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता की अगुवाई में यह लड़ाई लड़ी जाएगी। दुकानदार अपना हक लेकर रहेंगे। सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने ठेला पटरी व्यवसायियों को उजाड़ने को गैर कानूनी बताया है। कहा कि यह आजीविका संरक्षण फेरी नीति कानून 2014 का उल्लंघन है। यहां के ठेला फुटपाथ पटरी व्यवसायियों को बिना बसाए उजाड़ने को तुगलकी कार्रवाई बताते हुए पुनर्वासन और व्यवस्थापन की मांग की गई।


राजकुमार गुप्ता रिपोर्ट

Previous articleपानी की निकासी को लेकर हुए विवाद में एक व्यक्ति की लाठी से पीटकर कर दी गई हत्या
Next articleUP में परिषदीय स्कूल के अभिभावक खुद खरीदेंगे यूनिफार्म; हर बच्चे के खाते में आएंगे 1056 रुपए