बैंक में पैसा जमा कराने जा रहे हैं तो पढ़ लें ये बदले हुए नियम, SBI ने की शुरुआत

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एसबीआई में अब किसी खाते में नक़द राशि जमा करने के पहले खाताधारक की ओर से जारी ऑर्थराईजेशन लेटर दिखाना पड़ेगा.

अपने किसी रिश्तेदार या परिचित के बैंक खाते में कैश जमा करने जा रहे हैं, तो थोड़ी तैयारी से निकलिएगा. नक़द लेनदेन पर सख़्ती की शुरुआत देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने कर दी है. यहां अब किसी खाते में नक़द राशि जमा करने के पहले खाताधारक की ओर से जारी ऑर्थराईजेशन लेटर दिखाना पड़ेगा. अगर किसी वजह से यह लेटर नहीं मिल पाता है तो जिस व्यक्ति के खाते में नक़द जमा करना है, उसका साइन कैश डिपॉज़िट स्लिप में होना चाहिए. साइन को कोर बैंकिंग सोल्यूशन (सीबीएस) सुविधा के ज़रिए मैच किया जाएगा. साइन मिलने पर ही कैश डिपॉज़िट की अनुमति मिलेगी.

वहीं, यदि किसी वजह से ये दोनों ही चीज़ें नहीं उपलब्ध हैं, तो इस दशा में नक़द जमा करने वाले का खाता उसी बैंक में होना ज़रूरी है. केवाईसी कम्प्लीट होने के अलावा खाते में पैन भी ऐड होना चाहिए. इन तीनों में से कम से कम एक शर्त का पूरा होना ज़रूरी है, वरना आप स्टेट बैंक के किसी खाते में एक रुपया भी कैश जमा नहीं कर पाएंगे.

स्टेट बैंक की तर्ज़ पर ऐसे सख़्त नियम जल्द ही अन्य बैंक भी लागू करने की तैयारी में हैं. वहीं कुछ निजी बैंकों ने नक़द पैसा जमा करने से पहले सम्बंधित खाताधारक को फ़ोन करके भी नक़द जमा के बारे में पूछताछ कर रहे हैं. हालांकि यहां अभी इतनी कड़ाई नहीं है.

ग़ौरतलब है कि पहले किसी अन्य के खाते में पचास हज़ार से ज़्यादा की रक़म केवल पैन नंबर देकर ही जमा की जा सकती थी. उधर बैंक सूत्रों के मुताबिक़ नोटबंदी के दौरान बड़ी तादाद में लोगों के खातों में कैश जमा हुआ. आयकर विभाग ने जब इन खाताधारकों से जमा नक़द के सम्बंध में नोटिस भेजकर जानकारी मांगी तो ज़्यादातर ने नक़द जमा करने वालों को पहचानने से इंकार कर दिया. ऐसे में अब नियम सख़्त किए गए हैं. वहीं सूत्रों का यह भी कहना है की इस सख़्ती के पीछे नक़द लेनदेन को रोकना है. हालांकि इससे बैंकों का कामकाज प्रभावित होने की बात भी कही जा रही है

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