अवैध पैथोलॉजीयों के ऊपर सरकार की निगाहें सख्त अगर सीएमओ साहब ने लीपापोती की तो अधीक्षकों के साथ वो भी नपेंगे।
रायबरेली
कोविड-19 लैब की जांच में यदि तय फीस से अधिक उगाही का आया मामला तो सख्त से सख्त कारवाही होगी
जिस प्रकार रायबरेली जनपद में अवैध प्रयोगशालाये कुकुरमुत्तो की तरह फैल गई हैं, शायद यह मुमकिन नहीं है कि सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का सीएमओ कड़ाई से पालन करा पाएंगे जबकि इन दिशानिर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि कोविड-19 की जांच में कहीं भी कोई कोताही पाई गई तो सी. एम. ओ. पर भी कार्रवाई की जाएगी। वही मामला जिस ब्लॉक क्षेत्र का होगा पीएचसी /सीएससी अधीक्षक पर भी कार्यवाही की जाएगी। अब देखना यह है कि बिना मान्यता के चल रही पैथोलॉजी पर ताला लगता है या उच्च अधिकारियों/रसूखदारो को माल पानी देकर काम चलाते रहेंगे और आम जनमानस की जेब कटती रहेगी और खून चूसता रहेगा। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में चोरी और चापलूसी दोनों मना है वहीं यदि देखा जाए तो बिना नाम की पैथोलॉजीयों केवल सैम्पल सेन्टर जनपद में खूब फल-फूल रही हैं।
उत्तर प्रदेश शासन चिकित्सा अनुभाग 5 संख्या 2567 के 1 दिसंबर 2020 के क्रम ज्ञापन में निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाओं में कोरोना वायरस के संक्रमण की आर0टी0पी0सी0आर0जांच हेतु ली जाने वाली फीस की अधिकतम धनराशि रुपए 1600 निर्धारित की गई है। वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिगत निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाओं में कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच हेतु ली जाने वाली फीस कुछ इस प्रकार है निजी चिकित्सालय द्वारा प्रयोगशालाओं को प्रेषित सैंपल की जांच की दर अथवा किसी व्यक्ति द्वारा प्रयोगशाला पर जाकर दी जाने पर उसे ₹700 जीएसटी सहित देना होगा, जबकि निजी प्रयोगशालाओं द्वारा स्वयं एकत्र किए गए सैंपल की जांच कराने पर रुपए 900 जीएसटी सहित देना होगा ।शासन ने साफ दिशा निर्देश दिए है कि उक्त निर्धारित सीमा से अधिक फीस लिया जाना एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 के प्रावधानों के उल्लंघन एवं उत्तर प्रदेश महामारी कोविड-19 नियमावली 2020 के प्रावधानों में सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी यह जानकारी प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद ने दी।
अनुज मौर्य /मनीष श्रीवास्तव रिपोर्ट