खतरे के निशान की तरफ बढ़ रही गंगा, सो रहा प्रशासन

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डलमऊ (रायबरेली)। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने के बजाए अधिकारी आॅफिसों में बैठकर कागजों का कोरम भरने में व्यस्त रहते हैं, लेकिन हकीकत में मौके तक जाना भी उचित नहीं समझते। भीषण बारिश के चलते एकाएक गंगा नदी के जलस्तर में प्रति घंटे दो से तीन सेंटीमीटर तक जल की बढ़ोतरी दर्ज हो रही रही है, लेकिन अधिकारियों का इस से क्या मतलब? गंगा का जलस्तर खतरे के निशान की ओर तेजी के साथ बढ़ रहा है। किसान स्वयं अपनी सुरक्षा व्यवस्था के लिए ट्यूब का सहारा लेकर इस पार से उस पार पलायन हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में उनके साथ कभी भी बड़ी है घटना घट सकती है। परंतु प्रशासन इन सब बातों से अंजान बना बैठा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अभी तक किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई गांव नाले व नालियों में पानी जमा हुआ है। जिससे संक्रामक रोग फैलने की आशंका बढ़ रही है। परंतु स्वास्थ्य विभाग अभी तक दवाई का छिडकाव नहीं कराया है। डीएम के सख्त निर्देशों के बावजूद भी स्थानीय अधिकारी उच्चाधिकारियों के निर्देशों का बाखूबी से पालन नहीं कर रहे हैं। वहीं गंगा नदी का जलस्तर बढने की वजह से किसानों की नींद उड़ी हुई है रविवार को सुबह के समय गंगा का जलस्तर 98.740 सेंटीमीटर था वही शाम के समय गंगा नदी का जलस्तर 98.760 सेंटीमीटर हो गया। गंगा नदी का जल स्तर खतरे के निशान की ओर तेजी के साथ बढ़ रहा है, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है। जलस्तर बढने के कारण पूरे रेवती, बबुरा, आंबा के सैकड़ों बीघा खेती जल मग्न होकर नष्ट हो गई है। इन गांव में बाढ़ का पानी पहुंच गया है। अब पूरे डंगरी, पूरे नया खसराताल, मोहदीपुर, जहांगीराबाद बाढ़ की चपेट में है। प्रशासन की कार्यशैली की हकीकत को समझते हुए ग्रामीण स्वयं बाढ़ से निपटने का रास्ता बना रहे हैं।

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