…ताजमहल हो जाती हूँ

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साथ तुम्हारे जब होती हूँ गीत, गजल हो जाती हूँ
जब तुम सुंदर कह देते हो ताजमहल हो जाती हूँ

फूल के जैसा है तन मेरा तुम बिल्कुल ‘चंदन’ से हो
कुंज गलिन सी मैं हूँ पावन तुम भी तो मधुबन से हो
शिव बनकर जब छू लेते हो गंगाजल हो जाती हूँ
जब तुम सुंदर कह देते हो ताजमहल हो जाती हूँ

हृदयपत्र पर ढ़ाई आखर लिखकर पूर्ण विराम किया
सौंप के अपना जीवन तुझको सबकुछ तेरे नाम किया
मानसरोवर सी आँखों में नीलकमल हो जाती हूँ
जब तुम सुंदर कह देते हो ताजमहल हो जाती हूँ
प्रियंका राय ॐनंदिनी

(साभार-फेसबुक वाॅल से)

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