रायबरेली। सरकार ने बोर्ड परीक्षाओं में नकल रोकने के बड़े-बड़े इन्तजाम किये हैं, हर स्तर पर अधिकारियों की जबाबदेही तय की है और सुरक्षा के अभूतपूर्व इन्तजाम भी देखे जा रहे हैं, लेकिन रायबरेली के जिला विद्यालय निरीक्षक डाॅ. चन्द्र शेखर मालवीय इन सब पर पानी फेर रहे हैं। डीआईओएस, नव नियुक्त डीएम नेहा शर्मा के लिए भी बड़ी चुनौती बन सकते हैं, कारण कि डीएम किसी भी कीमत पर नकल न होने देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उन्होंने अपनी पहली बैठक में इसके निर्देश भी दे दिए हैं, लेकिन डीआईओएस को लगता है कि नकल सामग्री भूल वश परीक्षार्थी के पास परीक्षा कक्ष तक चली जाती है, इस भूल के जिम्मेदार जांच दल के लोग हैं। इसलिए इसे मानवीय आधार पर परीक्षार्थी का अपराध नहीं माना जा सकता। डीआईओएस ने ऐहार के एक परीक्षा केन्द्र पर नकल करते पकड़े गये छात्र के प्रति न केवल हमदर्दी जाहिर की है, बल्कि नकल करते पकडने वाले कक्ष निरीक्षक की सेवा भावना पर ही सवाल खड़े कर दिये। उन्होंने इसे अति उत्साह में की गयी कार्रवाई बताया है।
डीआईओएस चन्द्र शेखर मालवीय ने जिले भर के परीक्षा केन्द्र, सचल दल व आन्तरिक सचल दल प्रभारियों के नाम विगत 14 फरवरी को एक पत्र पत्रांक-बो.प.-2019/223-228 जारी करते हुये कहा कि ‘परीक्षार्थी नकल सामग्री जानबूझ कर परीक्षा कक्ष तक नहीं ले जाते, जांच में होने वाली लापरवाही के कारण ऐसा होता है। उन्होंने पत्र में यह भी कहा कि नकल पकड़े जाने पर विभाग व जिले की छवि खराब होती है, इसलिए नकल सामग्री बरामद होने पर यही समझा जाय कि परीक्षार्थी की भूल से नकल सामग्री उसके पास आ गयी है। अति उत्साह में कोई ऐसा कदम न उठाया जाय जिससे विभाग व जिले की बदनामी हो’। दर असल जिस दिन डीआईओएस ने यह पत्र जारी किया, उसी दिन सबेरे की पाली में हो रही परीक्षा के दौरान ऐहार (लालगंज) स्थित गणेश विद्यालय इन्टर कालेज परीक्षा केन्द्र पर गंगाराम बाराती लाल इंटर कालेज लालगंज का छात्र नकल सामाग्री के साथ पकड़ा गया। सेन्टर के सचल दल ने उसके विरुद्ध अपेक्षित कार्रवाई कर दी। नकल पकड़े जाने से डीआईओएस पर उंगली उठना लाजिमी है, अतरू बड़ी चालाकी से वे जांच दल को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक के इस पत्र के मजमून का एक-एक शब्द सरकार की नकल विहीन परीक्षा कराने कें संकल्प की बगावत करता है। पत्र में डीआईओएस ने नकल करते पकड़े गये परीक्षार्थी को मेधावी व सरल प्रवृत्ति का बता कर जाहिर कर दिया कि सरकारी व्यवस्था के विरोध के लिए वे नकल के आरोपी के साथ भी खड़े हो सकते हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक की निर्दोष परीक्षार्थी को पीड़ित न किए जाने की अपेक्षा निश्चित रूप से आवश्यक है लेकिन नकल सामग्री के साथ रंगे हाथ किसी परीक्षार्थी को पकड़ा जाय, और उसकी भूल मान ली जाय, उसे मेधावी होने का तमगा दे दिया जाय, यह डीआईओएस ही कर सकते हैं। डीआईओएस का यह पत्र सार्वजनिक होने के बाद जानकार लोग इसका विश्लेषण करने लगे हैं। विश्लेषण का सार यही है कि इस पत्र के माध्यम से परोक्ष रूप से ही सही डीआईओएस ने नकल की खुली छूट दे दी है। इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन फोन नहीं उठा।