नौ वर्ष की आयु में बद्री ने थामा था तिरंगा: भाई लाल

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रायबरेली। स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी बद्र्री प्रसाद यादव की 21वीं पुण्यतिथि दीवानी परिसर में मनायी गयी। वरिष्ठ अधिवक्ता भाई लाल यादव ने कहा कि नौ वर्ष की आयु में बद्री प्रसाद यादव जेल गये थे। मुंशीगंज गोलीकांड के ठीक एक दिन पूर्व 6 जनवरी 1921 को अंग्रेजों के चाटुकार सरदार निहाल सिंह ने उंड़वा गांव में अपनी फसली नष्ट करने व जिल्ला फूंकने का झूठा मुकदमा थाना जगतपुर में लिखाया, जिससे कि वहां के किसान आन्दोलन में शामिल न हो सके। इस मुकदमें में थाना जगतपुर की पुलिस ने 123 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा, जिसमें महिलाएं एवं बच्चे भी शामिल थे। बद्री प्रसाद यादव, उनके पिता सद्धू प्रसाद यादव एवं मां श्रीमती इंदिरा यादव भी जेल भेजी गयी।
पीएल पाल एडवोकेट ने कहा कि बद्री प्रसाद यादव का विवाह श्रीमती उमराई यादव के साथ हुआ था। उमराई यादव के पिता महाबीर यादव सात जनवरी 1921 को मुंशीगंज गोली कांड में शामिल हुए थे। मुंशीगंज गोली कांड के बाद महाबीर यादव से पंडित जवाहर लाल नेहरू की नजदीकियां बढ़ी और जब इंदिरा गांधी ने वानर सेना बनायी तो उमराई यादव ने वानर सेना में 12 वर्ष की आयु में शामिल होकर गिरफ्तारी दी। उमराई यादव के साथ बद्र्री प्रसाद यादव कई बार जेल गये। अमित कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि बद्री प्रसाद यादव के परिवार में चार सदस्य स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी थे, लेकिन उन्हांेने अपने बच्चों को मना कर दिया था कि वे भविष्य में कभी इसका लाभ नहीं लेंगे। किसी ने सरकार द्वारा देय पेंशन नहीं ली, इन लोगों का मानना था कि देश की आजादी के लिए संघर्ष करना उनका फर्ज था न कि इसका प्रतिफल वसूल करना। राम सेनही एडवोकेट ने कहा कि बद्री प्रसाद यादव की एक पुत्री श्रीमती राजकुमारी यादव, तीन पुत्र रामनरेश यादव, राम बहादुर यादव व ओपी यादव है। जो सामाजिक कार्यों को अंजाम देते रहते हैं। आरपी सिंह ने कहा कि देश की आजादी के बाद जब पीएसी का गठन हुआ तो बद्री प्रसाद पीएसी में भर्ती हुए और 1973 में सेवानिवृत्त हुए। 31 अक्टूबर 1998 को काल के गाल में समा गये। एकता दिवस समारोह का आयोजन समाजवादी अधिवक्ता सभा की ओर से किया गया। अध्यक्षता शशि कुमार यादव एवं संचालन शैलेश पाल ने किया। इस अवसर पर उमेश कुमार यादव, अरविन्द कुमार बाजपेयी, अशोक मिश्रा, आदि मौजूद रहे।

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