मुख्यमंत्री के आदेश को नही मानते इस तहसील के अधिकारी व कर्मचारी

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महराजगंज रायबरेली
जब तहसील के जिम्मेदार अधिकारी ही अपने समय और कर्तब्य के पाबन्द नही हैं तो ऐसे में कर्मचारियों का बेलगाम हो जाना लाजमी है। और जब कर्मचारी भी बेलगाम हो जाये तो क्षेत्र की जनता त्राहिमाम ही कर सकती है। मालूम हो कि तहसील कार्यालय में उपजिलाधिकारी, तहसीलदार , नायब तहसीलदार आदि जिम्मेदार अधिकारी निर्धारित समय पर कार्यालय पहुंचना मुनासिब नही समझते या शायद देर से आना ही अपनी शान समझते हैं।
बताते चलें कि बुधवार को मीडिया द्वारा तहसील कार्यालय पहुंचकर जब हकीकत पर नजर डाली गयी तो तहसील मे एसडीएम सबिता यादव, तहसीलदार राम कुमार शुक्ला व नायब तहसीलदार सुशील कुमार सिंह के कार्यालय पर 10ः25 बजे तक ताले ही लटक रहे थे। यही नही तहसील कार्यालय में स्थित पूर्ति निरीक्षक कुमुदिनी पाल की खाली पड़ी कुर्सियां भी उनके कर्तब्यों की गवाही देती नजर आयी। ऐसे में भीषण गर्मी में आये फरियादी शेषपुर समोधा से भारत सिंह व कुबना निवासी सुदाना पत्नी बजरंगी आदि अधिकारियों से अपनी बात तक नही कह सके और लिखित शिकायत अधिकारी के कार्यालय में उपस्थित कर्मचारी को ही देकर लौट गये। यह आलम एक दिन का नही है हमेशा ही अधिकारी अपनी मनमानी से आते और जाते हैं। फरियादियों से मिलने का समय वैसे तो 10 से 12 तक तय किया गया है परन्तु जब अधिकारी आयेगा तभी जनता उनके दर्शन कर सकेगी, सुनवाई होगी या नही यह समय के ही गर्भ में है।

फरियादी ही नहीं अधिवक्ताओं में भी आक्रोश

तहसील के अधिकारियों कर्मचारियों की कार्यशैली को लेकर बीते एक वर्ष से अधिक समय से फरियादियों सहित तहसील के अधिवक्ताओं में भी आक्रोश व्याप्त है। बीते एक माह से अधिक समय से जहां तहसील के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत चल रहे है वहीं बीते दिनों अधिवक्ताओं द्वारा वादों के निस्तारण न होने से नाराज हो नारेबाजी व हंगामा भी किया गया।

अधिकारियों की लचर कार्यप्रणाली से कर्मचारी भी हुए बेलगाम

अधिकारियों की लेट लतीफी के चलते तहसील के कर्मचारी भी कछुए की चाल चल अपना कार्य कर रहे हैं जिससे आये हुए फरियादियों का कार्य तीन दिवस के बजाय तीन माह में हो पा रहे हैं। जानकारी के अनुसार बीते एक माह से किसान क्रेडिट कार्ड के लिए किसानों द्वारा की जा रही बैंको में बन्धक को भी तहसील कर्मचारी दर्ज नही कर रहे हैं जिससे बैंक सहित किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

एडवोकेट अशोक यादव रिपोर्ट

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