केंद्र ने 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की उर्वरक सब्सिडी सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर करने के लिये तीन नई टेक्नोलॉजी आधारित पहल शुरू की हैं. ये पहल राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर उर्वरक सप्लाई, उपलब्धता और जरूरत के ब्योरे की जानकारी देने वाला डैशबोर्ड (सूचना पट), बिक्री केंद्रों (पीओएस) का अत्याधुनिक संस्करण और डेस्कटॉप पीओएस संस्करण हैं.
ये पहल डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के दूसरे एडिशन में सरकार का सीधे किसानों के बैंक खातों में उर्वरक सब्सिडी ट्रांसफर करने का हिस्सा हैं. उर्वरक डीबीटी का पहला चरण अक्टूबर 2017 में शुरू किया गया. इसके तहत पीओएस मशीनों से प्राप्त खुदरा बिक्री आंकड़ों की जांच के बाद सब्सिडी सीधे कंपनियों को दी जाती थी.
उर्वरक क्षेत्र में आएगी पारदर्शिता
डीबीटी 2.0 शुरू करने के बाद केमिकल एंड फर्टिलाइजर मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा, ‘‘नई पहल से निश्चित रूप से किसानों तक पहुंच बढ़ाने का जो हमारा प्रयास है, उसमें मदद मिलेगी. इससे उर्वरक क्षेत्र में पारदर्शिता आएगी. सरकार डीबीटी के कारण सब्सिडी दुरुपयोग और उर्वरकों की काला बाजारी को रोकने में सफल हुई है. दूसरे चरण में की गयी पहल का उद्देश्य डीबीटी व्यवस्था को और मजबूत बनाना है. आने वाले महीनों में कुछ और पहल की जाएंगी.’’
POS सॉफ्टवेयर एडिशन 3.0 विकसित
नई पहल के बारे में और जानकारी देते हुए उर्वरक सचिव छबीलेन्द्र राउल ने कहा कि सरकार ने पीओएस सॉफ्टवेयर एडिशन 3.0 विकसित किया है. इसमें रजिस्ट्रेशन, लॉग इन के दौरान आधार वर्चुअल पहचान विकल्प के साथ विभिन्न भाषाओं की सुविधा होगी. उन्होंने कहा कि इसमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड सिफारिश के लिये प्रावधान है. साथ ही किसानों को की गयी बिक्री के आंकड़े को भी यह एडिशन इकट्ठा करता है. इसके साथ मिश्रित उर्वरक बनाने वाली कंपनियों के आंकड़े अलग से इकट्ठे किए जाते हैं.