अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से फिर गई एक मासूम की जान

93

बछरावां (रायबरेली)। समाचार पत्रों में बछरावा कस्बे के अंदर फैले फर्जी अस्पतालों के मकड़जाल की खबरें आए दिन प्रकाशित होती रहती है परंतु जिम्मेदार अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है नतीजा यह होता है कि आए दिन मासूमों वह गरीबों को अपनी जान गंवानी पड़ती है ऐसा ही एक हादसा बीते 2 मई को कस्बे के महाराजगंज रोड पर स्थित स्कोप हॉस्पिटल में घटित हुआ। घटनाक्रम के अनुसार सुदौली निवासी अनुज तिवारी की पत्नी रश्मि तिवारी को बच्चा होने वाला था वह उसे लेकर सरकारी अस्पताल आ गए थे तभी बीच में कुछ दलाल मिल गए और उन्होंने उसे स्कोप अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी। अच्छे इलाज को सुनकर तिवारी दंपत्ति उक्त अस्पताल पहुंच गए फिर क्या था अस्पताल के प्रबंध तंत्र द्वारा नॉर्मल डिलीवरी कराने के नाम पर उनसे ₹25000 खींच लिए गए और ₹10000 की और डिमांड की गई प्रातः 9:00 बजे के करीब रश्मि तिवारी ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया परंतु अस्पताल द्वारा उसे बार-बार ऑक्सीजन लगाया जाने लगा इस पर साथ में आई अनुज तिवारी की मां सरोज कुमारी ने अस्पताल वालों से कहा कि अगर बच्चे की हालत ठीक ना हो तो वह उन्हें बता दे ताकि कहीं और ले जाया जा सके अस्पताल वालों के द्वारा बच्चा सही है कहकर उन्हें दिलासा दिया जाता रहा और ₹10000 की और मांग की जाती रही। बेचारे अनुज तिवारी गांव पैसे की व्यवस्था करने चले गए इसी बीच बच्चे की हालत बिगड़ने लगी तब कहीं जाकर अस्पताल में तैनात अधिछका द्वारा बछरावां के ही एक प्राइवेट डॉक्टर को दिखा लेने की सलाह दी गई परंतु तिवारी दंपति इस पर तैयार नहीं हुए और उसे लेकर लखनऊ भागे परंतु दुर्भाग्य से रास्ते में ही बच्चे की मौत हो गई। बच्चे की मौत की खबर पाकर सुदौली गांव से काफी लोग आ गए और उन्होंने अस्पताल में तोड़फोड़ प्रारंभ कर दी। जिसकी सूचना पाते ही स्थानीय पुलिस द्वारा मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाल लिया गया। ज्ञात हो कि उक्त अस्पताल की प्रबंधक शिवानी गुप्ता नामक एक महिला है जिसके पास ना तो किसी प्रकार की कोई डिग्री है और ना ही इस अस्पताल में कोई महिला डॉक्टर है जबकि बाहर लगे बोर्ड पर सिजेरियन व नॉरमल डिलीवरी कराने का दावा किया जाता है। अस्पताल के बोर्ड पर डॉ पी के शुक्ला एमडी, डॉक्टर ए के मिश्रा आर्थोपेडिक तथा डॉ राघवेंद्र पांडे बीएएमएस का नाम बड़े बड़े अक्षरों में लिखा हुआ है परंतु पता करने पर ज्ञात हुआ कि यह डॉक्टर लोग कभी भी अस्पताल में नहीं आते हैं केवल अस्पताल के अंदर मरीजों को देखने से लेकर प्रसव तक कराने का कार्य शिवानी गुप्ता ही करती हैं। जब शिवानी गुप्ता से इस संदर्भ में बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह यह कार्य अनुभव के आधार पर करती है। ज्ञात हो विगत कुछ दिन पूर्व शिवगढ़ मार्ग पर नहर के किनारे एक नवजात शिशु का शव मिला था तब भी इस अस्पताल के बारे में कानाफूसी शुरू हुई थी परंतु प्रमाण ना होने की वजह से कोई खुलकर आरोप नहीं लगा पाया जन चर्चा है कि इस अस्पताल के अंदर ज्यादातर वह केस लिए जाते हैं जो अवैध होते हैं। क्षेत्रीय जनता की मांग है कि बछरावा कस्बे के अंदर दिन-प्रतिदिन खुलते जा रहे कुकरमुत्तो की तरह इन अस्पतालों पर रोक लगाई जाए और मानक विहीन अस्पतालों को बंद कराते हुए इनके संचालकों पर प्रथम सूचना अंकित कराई जाए।

अनुज मौर्य/अनूप कुमार सिंह रिपोर्ट

Previous articleमुझे अभिमान है मेरी छोटी बहन ऐश्वर्या सिन्हा पर – अदिति सिंह
Next articleससुराल आये युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में फासी से लटकता मिला शव