महराजगंज रायबरेली। महंगी दवाओं से लोगों को छुटकारा दिलाना सरकार के एजेंडे में है। आयुष्मान योजना के तहत स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ी क्रांति चल रही है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि भाजपा से बछरावां विधायक राम नरेश रावत के क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है। महराजगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मे भ्रष्टाचार और लूट-खसोट का अड्डा बन चुका है।
अस्पताल में मरीजों की जांच के लिए लगी लाखों रुपए की मशीनें धूल फांक रही हैं। अस्पताल प्रबंधन के नकारेपन के चलते मरीजों को बाहर से जांच कराना पड़ता है और कमीशन की दवा खरीदना पड़ता है। यही नहीं पत्रकारों की टीम के पड़ताल के दौरान ये बात सामने आई कि डॉक्टरों और दवा माफियाओं की गठजोड़ का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। मोटे कमिशन के चक्कर में चिकित्सक दवा के लिए मरीजों को बाहर भेजते हैं। हैरानी इस बात की है कि कोरोना काल मे जनमानस परेशान है बावजूद इसके अस्पताल में खुलेआम गरीबों को लूटा जा रहा है। अधीक्षक डॉ राधाकृष्णन के नेतृत्व में समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र महराजगंज में कार्यरत सभी चिकित्सक मरीजों को बाहर से कमीशन की दवा लिख रहे हैं।
कमीशन के खेल में गरीब लगातार फस रहे है।
अस्पताल में मशीन लगी होने के बाद भी अगर मरीजों को बाहर जाना पड़ता है तो इसके पीछे की वजह भी है। दरअसल अस्पताल में एक बड़ा रैकेट काम करता है। सभी चिकित्सक अपने हिसाब से कमीशन की दवा मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध करा रखा है इस रैकेट में डॉयग्नोसिस सेंटर के मालिक ,दवा व्यवसाई से लेकर अस्पताल के बड़े अधीक्षक तक शामिल है। अस्पताल में कमिशनखोरी का खेल लंबे समय से चल रहा है। कमीशनखोरी की कीमत बेचारे गरीबों को चुकानी पड़ती है। उम्मीदों के साथ आने वाले मरीजों को अस्पताल के डॉक्टर कमाई का मोहरा बना लेते हैं। सूत्रों के मुताबिक अस्पताल में संसाधन होने के बावजूद मरीजों को महंगे डॉयग्नोसिस सेंटर पर जांच के लिए भेजा जाता है। हर जांच के बदले अस्पताल के डॉक्टरों का कमीशन फिक्स होता है। ऐसा नहीं है कि सीएमओ कमीशनखोरी के इस खेल से वाकिफ नहीं है। बावजूद इसके धड़ल्ले से गरीब मरीजों के साथ लूट होती रहती है।उपजिलाधिकारी विनय कुमार मिश्रा ने बताया कि जाँच कर कार्यवाही की जाएगी।
अनुज मौर्य/अशोक यादव रिपोर्ट