आज आई विदाई की बेला से प्रधानों में बेचैनी, चुनावी भवसागर मे नैया कैसे पार होगी

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लालगंज-रायबरेली-रायबरेली जिले के ग्राम प्रधान अपनी कमियां छिपाने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं।लेकिन कुछ अधूरे पड़े शौचालय और ग्राम पंचायत में फर्जी भुगतान को लेकर नींद हराम हो गई प्रधानों की अपनी कमियां छिपाने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। इसमें जिम्मेदार अधिकारी भी अपनी बचत के चक्कर में इधर उधर भागने की फिराक में है। प्रधानों का कार्यकाल आगामी 25 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। इसके बाद ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त हो जाएंगे सरकार के इस कदम से प्रधानों में बेचैनी छा गई है। जानकारी के अनुसार शासन के दिशा निर्देशों के अनुसार प्रत्येक 5 वर्ष बाद पंचायतों में चुनाव होते रहते हैं। इन चुनावों में कुछ प्रधानों को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ती है। तो कुछ की पुनः ताजपोशी होती है।आरक्षण व्यवस्था के चलते कुछ प्रधान बिना लड़ाई के ही मैदान से बाहर हो जाते हैं। वहीं कुछ को पुनः किस्मत आजमाने का मौका मिलता है।पंचायत चुनाव में आरक्षण व्यवस्था को लेकर अभी भी गांव में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। असमंजस के चलते चुनाव के दावेदारों ने अभी वोटरों से दूरी बनाई है। सीटों का आरक्षण तय होने के बाद गांव में सेवा भाव का सिलसिला एवं चुनावी सरगर्मी तेज हो जाएगी अपने द्वारा किए गए विकास कार्यो के आधार पर कुछ प्रधान जहां पुनः अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं। वहीं कुछ प्रधानों को अपने कार्यकाल में किए गए घोटालों एवं समाज विरोधी कार्यो से अपनी कुर्सी गंवानी की चिंता अभी से ही सता रही है।चुनावी भवसागर में सभी प्रधानों की नैया अब भगवान भरोसे ही टिकी है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है। अपनी जीत को लेकर प्रधानों की मायूसी उनके चेहरे पर साफ झलक रही है।

अनुज मौर्य/सन्दीप फ़िज़ा रिपोर्ट

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