कड़कड़ाती ठंड और चौराहे के अलाव ठंडे

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जगतपुर (रायबरेली)

ठंड और सुबह ड्यूटी पर भागना और शाम को घर लौटने पर बच्चों के द्वारा उनकी हंसी ठिठोली को अभिभावक सुनने के लिए आतुर रहते हैं। सामान्यता जगतपुर क्षेत्र में शिक्षिकाएं, बैंककर्मी और नौकरी, कारोबार संबंधी लोगों का आना-जाना होता है।
जिस तरह की सुबह और शाम कड़ाके की ठंड पड़ रही है। बसो के इन्तज़ार में खड़े राहगीरों को खुले आसमान और चौराहे पर वाहनों का इंतजार करना महंगा पड़ रहा है। हल्का लेखपाल अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ कर तहसील के आरामतलब अधिकारियों की चाटुकारिता करने में मस्त है। तभी तो शायद उन्हें आम जनमानस का दर्द नहीं दिखाई पड़ता और जगतपुर चौराहे सहित अस्पताल, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन और सार्वजनिक स्थलों पर किसी भी प्रकार की अलाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। यदा-कदा कहीं लकड़ी की व्यवस्था की गई है तो जलाई नहीं जाती बल्कि अफसरों के पास फोटो भेज दी जाती है कि चौराहा पर लकड़ी रखी है।

एडवोकेट मनीष श्रीवास्तव रिपोर्ट

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