किसानों की खून पसीने की मेहनत को ये जानवर कर रहे है चट्ट

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महराजगंज रायबरेली- एक कहावत है कि भगवान देता है तो छप्पर फाड़ के देता है और लेता है तो चमड़ी उधेड़ के लेता है ।वर्तमान में यह कहावत किसानों पर पूरी तरह से लागू हो रही है। धान की फसल को कोरोना निगल गया और अब गेहू की फसल के लिए वनरोज एवं आवारा पशु घातक बने हुए है। एक तो कोरोना महामारी और लाकडाउन से वैसे भी किसान परेशान है ऊपर से मेहनत से तैयार फसल को वनरोज और आवारा पशु नष्ट कर रहे है किसान मेज़र चौहान ने बताया की वनरोज एवं आवारा पशुओं ने किसान का जीना दूभर कर रक्खा है ।हरी भरी गेहू की फसल को करने के साथ ही ये जानवर उसे बुरी तरह बर्बाद कर रहे है। किसान दीप सिंह , अंकेश सिंह , देवेन्द्र सिंह , रामसजीवन यादव, राम आसरे ने बताया कि वनरोज एवं आवारा पशु लागातार फ़सल चौपट कर रहे हैं । रातों दिन फ़सल की रखवाली करने के बावजूद भी इनके द्वारा किये जा रहे नुकसान को बचा नही पा रहे है। जरा सा इधर उधर होते ही इनका आक्रमण हो जाता है जिससे फसल को भारी नुक़सान हो रहा है। वहीं किसान माताफेर ने बताया अगर इन वनरोज एवं आवारा पशुओं को भगाने जाओ तो ये उल्टा हम किसानों को ही दौड़ा लेते है क्योंकि इनकी संख्या अधिक रहती है और सबसे अधिक खतरा सांडों एवं वनरोजो से रहता है वनरोज नर की सींग काफी नुकीली रहती है जो काफी खतरनाक है अगर इनपर कोई अंकुश नहीं लगाया गया तो किसी भी वक्त कोई बड़ा हदसा हो सकता हैं वनरोज एवं आवारा पशुओं से परेशान किसान लगातार अपने खेतों की रखवाली करने को मजबूर हैं और मेहनत की फसल बचाने के लिए रात दिन इन आवारा पशुओं एवं वनरोजो एवम आवारा पशुओं को खेतों से भागाने मे ही अपना कीमती समय नष्ट कर रहे है जिसके चलते अन्य कार्यों के लिए समय नहीं निकाल पा रहे जिससे किसानों का आर्थिक बजट गड़बड़ा रहा है किसानों ने प्रशासन से मांग कीहै कि इन आवारा पशुओं एवं वनरोजो से मुक्ति दिलाई जाय नही तो खेतों मे कुछ भी पैदा नही होगा।

अनुज मौर्य/अशोक यादव रिपोर्ट

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