कैसे हो निष्पक्ष कार्यवाही, जब भ्रष्टाचार छिपाने वाला ही करेगा जांच

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महराजगंज के जमुरावां पूर्व माध्यमिक विद्यालय का मामला

महराजगंज (रायबरेली)। विद्यालय में भ्रष्टाचार कर लाखों का गबन करने का आरोप लगने व जांच में भी अनियमिमता मिलने के बाद भी प्रधानाध्यापिका का बचाव करते हुए निलम्बन की कार्यवाही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की गवाही दे रही है। उससे भी बड़ी विडम्बना यह है कि मुख्यमंत्री से मामले की शिकायत के बाद भी जिलाधिकारी द्वारा मामले की जांच जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को ही दे दी गयी। भ्रष्टाचार छुपाने वाले को ही भृष्टाचार की जांच देने के बाद न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
मामला विकास खण्ड महराजगंज क्षेत्र के जमुरावां पूर्व माध्यमिक विद्यालय का है। विद्यालय में तैनात प्रधानाध्यापिका मंजू मिश्रा पर गांव के अमित कुमार त्रिपाठी ने मिड डे मिल में अनियमितता, कम्पोजिट ग्राण्ट व विद्युत व्यवस्था का काम न करा रूपये निकाल लेने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी। खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा जांच में मामला सही पाया गया। खण्ड शिक्षा अधिकारी डाॅ सुरेश कुमार की जांच रिपोर्ट में पायी गयी अनियमितता को छिपाते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी पीएन सिंह ने एक माह मे मात्र दो बार दूध वितरण करने की अनियमितता दर्शाते हुए निलम्बन की कार्यवाही की गयी। यही नही बीते छः माह पूर्व भी निलम्बित हुई मंजू मिश्रा की जांच राही के खण्ड शिक्षा अधिकारी रमेश चन्द्र चैधरी की आख्या पर बहाल कर दिया गया जबकि जांच अधिकारी विद्यालय तक नही आये और ग्रामीणों से जानकारी भी नही ली गयी। उक्त मामले में जमुरावां निवासी अमित कुमार त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी पीएन सिंह , राही के खण्ड शिक्षा अधिकारी रमेश चन्द्र चैधरी सहित प्रधानाध्यापिका मंजू मिश्रा पर कार्यवाही की मांग की थी। मामले में जिलाधिकारी नेहा शर्मा द्वारा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को ही जांच सौंप दी।

अनुज मौर्य/अशोक यादव रिपोर्ट

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