कॉलोनी का पैसा खाते में आते ही निकल गया ,पीड़ित को पता ही नहीं

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डलमऊ रायबरेली – डलमऊ तहसील क्षेत्र के अंतर्गत विकासखंड दीन शाह गौरा में प्रधानमंत्री आवास योजना में जमकर खेल किया जा रहा है। आवास योजना का पात्र लाभार्थी जिसको कागज पर तो आवास दे दिया गया और उसके नाम से पैसा भी निकल गया लेकिन वास्तव में वह आज भी अस्त व्यस्त घर में रहने को मजबूर है और जिम्मेदार अधिकारियों के उदासीनता के चलते पीड़ित दरबदर की ठोकरें खा रहा है। पात्र लाभार्थी के नाम से आवंटित आवास को जिम्मेदारों द्वारा मामले में लीपापोती का मामला प्रकाश में आया है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम सभा अलीपुर चकराई में रामनरेश पुत्र सोभनाथ की कॉलोनी कागज पर कंप्लीट कर दी गई है और खाते से पैसा निकल गया लेकिन धरातल पर अभी तक उस गरीब की कालोनी नही बनी अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा है कि रामनरेश पुत्र सोमनाथ और रामसुमेर एक ही व्यक्ति है और जब रामनरेश पुत्र सोमनाथ के घर जाकर जानकारी ली गई तो कागज पर रामनरेश पुत्र शोभनाथ को कॉलोनी प्राप्त हो चुकी थी लेकिन हकीकत कुछ और बयां कर रहे हैं

तीन बार में खाते से निकाली गई 40000, 70000, 10000. धनराशि ।

जानकारी के अनुसार बता दें कि रामनरेश के नाम की कॉलोनी से धनराशि तीन किस्तों में निकाली जा चुकी है पीड़ित को पता ही नही लेकिन धरातल पर अब तक कालोनी नहीं बनी हुई है इसकी जानकारी खंड विकास अधिकारी द्वारा नहीं दी जा रही है जानकारी लेने पर पता चला कि ग्राम प्रधान और शीग्रेटरी की मदद करने वाले इकबाल बाबू जो कि काफी पुराने और तजुर्बेदार हो चुके हैं इकबाल बाबू के इशारे पर ही सारे खेल खेले जाते हैं वही एक मामला और संज्ञान में आया है कि नाबालिग को भी प्रधानमंत्री आवास दे दिया गया है कई साल से एक ही स्थान पर कार्य कर रहे इकबाल बाबू कंप्यूटर ऑपरेटर को काफी तजुर्बा हो चुका है गोलमाल करने में इसलिए गरीब असहाय सरकारी योजनाओं से वंचित रह जाते हैं क्योंकि सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि मोटी रकम देने वाले को ही आवास दे दिया जाता है जिस गरीब असहाय व्यक्ति के नाम से कॉलोनी दर्ज की गई थी व आज भी आस लगाए पक्के घरों का सपना देख रहा है प्रधान और शीग्रेटरी और कम्प्यूटर आपरेटर की मिलीभगत से प्रधान के चहेते को कॉलोनी दे दी जाती है पात्र लाभार्थी रामनरेश पुत्र शोभनाथ छप्पर में अपना गुजर-बसर कर रहे हैं अब देखना यह है कि अधिकारी इस मामले को कितना संज्ञान लेते हैं ।

अनुज मौर्य /विमल मौर्य रिपोर्ट

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