गरीबों के इस व्यवसाय पर भी आफत बनकर टूटा कोरोना

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रायबरेली

मौसमी फलों को कोई नहीं मिल रहा खरीददार 30 से ₹40 में बिक रहा हैं तरबूजा। मौसम है तरबूज और खरबूजे का। जी हां गर्मी के मौसम में राहत देने वाली बुजुर्गों के शब्दों में कहे तो वाटर मिलन आजकल माटी के भाव बिक रहा है। आफत तो उनके ऊपर आई है जो सस्ते दरों पर इसे बेचने को मजबूर है। महीनों की इतनी कड़ी मेहनत के बाद उत्पादन होता है, इन फलों का गंगा के तीर पर वहां से वाहन के द्वारा बाजारों तक पहुंचाना और एक-एक फल बेचना वाकई बहुत मेहनत का कार्य होता है। लेकिन कोरोना कहर बनकर टूट पड़ा है। एक तो लोग बाहर नहीं निकल रहे हैं। वही निकल रहे हैं तो गंगा के तीर पर से आने वाले फल को खाने में कतराते हैं डरते हैं। क्योंकि यह माना जा रहा है कि तीर पर संक्रमण के संकेत ज्यादा है। रायबरेली और जगतपुर के बीच पड़ने वाले मुख्य बाजार मुंशीगंज में इसकी थोक और फुटकर की दुकानें लगती। पर वहां भी लोग खरीदारी से कतरा रहे हैं। एक तो आर्थिक दिक्कत दूसरे कोरोना से डर। इसके बावजूद भी कुछ मौसमी फलों के शौकीन लोग खरीददारी करते दिखे।

अनुज मौर्य/मनीष श्रीवास्तव रिपोर्ट

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