रायबरेली। ब्लाक से लेकर जिले तक अधिकारियों की चाकरी में जुटे सफाई कर्मियों की हठधर्मिता के चलते ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं। स्कूलों में सफाईकर्मी के न आने से अध्यापकों को स्वयं सफाई करनी पड़ रही है। क्योंकि बच्चों से सफाई नहीं कराई जा सकती। इसलिए अध्यापक स्वयं सफाई कर रहे हैं। जन्माष्टमी के अवकाश के बाद मंगलवार को जब विद्यालय खुला तो विद्यालय में आवारा जानवरों का गोबर था। बच्चों को बैठने की जगह नहीं थी। स्कूल पहुंचे अध्यापक ने पहले विद्यालय का सारा गोबर समेटा और उसके बाद पढ़ाई शुरू की। मामला ऊंचाहार क्षेत्र के सवैया राजे स्थित प्राथमिक विद्यालय का है। अध्यापक द्वारा गोबर भरने की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सफाई कर्मचारियों और स्कूलों की गंदगी को लेकर बहस छिड़ गई है। बताया जा रहा है कि सफाईकर्मी अधिकतर ब्लाक स्तर के अधिकारियों की चाकरी में जुटे रहते हैं तो कुछ सफाई कर्मी जिले स्तर के अधिकारियों के यहां खाना बनाने से लेकर कपड़ा धोने और सब्जी लाने तक का काम करते हैं। जिसके चलते सफाई कर्मी ग्राम पंचायतों में नहीं जाते और वहां नालियां बजबजाया करती हैं। साथ ही ग्राम पंचायत में स्थित प्राथमिक विद्यालय में सफाई के अभाव में कूड़ाघर बने रहते हैं। इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा कि सफाई कर्मी न आने की वजह से शिक्षक ने गोबर उठाया होगा। क्योंकि बच्चों से सफाई नहीं कराई जा सकती। इसलिए शिक्षक के पास मजबूरी है। वह क्या करें? अधिकारियों ने यह भी कहा कि वह इस मामले को दिखावायेंगे।