भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान- 2 के लॉन्चिंग के साथ ही नया इतिहास रच दिया है। लॉन्चिंग के बाद अब इसे चांद की सतह पर उतारने के सबसे बड़े मिशन की भी शुरुआत हो गई है। चंद्रयान-2 श्री हरिकोटा के प्रक्षेपण स्थल से चांद तक के 3 लाख 84 हजार किलोमीटर के सफर पर निकल चुका है। चंद्रयान सिर्फ 16 मिनट बाद पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो जाएगा। करीब 50 दिन बाद 6 से 8 सितंबर के बीच चांद पर चंद्रयान-2 की लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
3.84 लाख किमी का सफरचंद्रयान-2 चांद की सतह पर उतरने से पहले करीब 3.84 लाख किलोमीटर का सफर तय करेगा। चंद्रयान-2 अभी तेजी से चांद की तरफ बढ़ रहा है। चंद्रयान 2 में लगे लैंडर, विक्रम और रोवर, प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे। चांद की सतह पर उतरने के 4 दिन पहले रोवर ‘विक्रम’ अपनी लैंडिंग वाली जगह का मुआयना करना शुरू करेगा। सही जगह के चुनाव के बाद वह यान से अलग होकर सतह के और नजदीक पहुंचेगा। फिर उस जगह की स्कैनिंग करना शुरू करेगा और फिर 6 से 8 सितंबर के बीच लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। लैंडिंग के बाद लैंडर (विक्रम) का दरवाजा खुलेगा और वह रोवर (प्रज्ञान) को रिलीज करेगा। रोवर के निकलने में करीब 4 घंटे का समय लगेगा। फिर यह वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चांद की सतह पर निकल जाएगा। इसके 15 मिनट के अंदर ही इसरो को वहां की तस्वीरें मिलनी शुरू हो जाएंगी।
स्वदेशी तकनीक से बना है चंद्रायन 2
स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान2 में कुल 13 पेलोड हैं। आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर ‘विक्रम’ और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में हैं। पांच पेलोड भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के हैं। लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। दूसरी ओर, 27 किलोग्राम ‘प्रज्ञान’ का मतलब संस्कृत में ‘बुद्धिमता’ है। इसरो चंद्रयान-2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारेगा।
Efforts such as #Chandrayaan2 will further encourage our bright youngsters towards science, top quality research and innovation.
Thanks to Chandrayaan, India’s Lunar Programme will get a substantial boost. Our existing knowledge of the Moon will be significantly enhanced.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 22, 2019