बारिश में टपकती छते, लबालब पानी है इसकी निशानी,छतीस वर्ष पूर्व में बना था पावर हाउस
खीरों,रायबरेली। विकास क्षेत्र के सेमरी स्थित
पावर हाउस के बिजलीकर्मी लगभग छत्तीस वर्ष पूर्व बने पुराने जर्जर आवासीय भवनों के रहने को मजबूर हैं। इन्ही जर्जर भवनों में से एक कमरे में अवर अभियंता का कार्यालय भी संचालित हो रहा है। भवन इतने जर्जर हालत में है कि कभी भी
गिर सकता हैं। उल्लेखनीय है कि उपरोक्त पावर हाउस में कर्मचारियों के रहने के लिए वर्ष 1986 में सरकार ने आवासीय भवनों का निर्माण कराया था। पावर हाउस के जर्जर हालातो में पड़े आवासों में इन दिनों बड़ी बड़ी दरारें हैं। छतों का प्लास्टर टूट कर गिर रहा है। इन्हीं खण्डहर भवनों में बिजली कर्मी रहने को मजबूर हैं। गौरतलब है कि इसी परिसर में विद्युत विभाग के अवर अभियंता का कार्यालय संचालित है।
लेकिन इस कमरे में दरवाजा तक नही जो अपनी बदहाली खुद ब खुद बता रहा है और ऐसी दशा में आवारा मवेशी ही इस कमरे में अपना आशियाना बनाये हुए हैं। इसी स्थित में विभाग के कर्मियों के साथ साथ उपभोक्ताओं पर भी खतरा मंडराया करता है कि कब कोई छत गिर जाए। बिजली कर्मियों की माने तो वह लोग हमेशा खतरों में खेलते हैं,यह स्थित बारिश में और दयनीय हो जाती है जब छतें टपकती है और कमरे तालाब बन जाते हैं। वही बिजली कर्मियों को पीने के लिए कोई हैंडपंप तक पावर हाउस में नही है कि कोई पानी पी सके। ऐसे में बाहर से पानी खरीद कर प्यास बुझानी पड़ती है। इस बाबत अवर अभियंता ने बताया कि रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को कई बार भेजी गई है।
लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई।
अनुज मौर्य/आकाश कुमार रिपोर्ट