जालसाजी कर बैंक में नौकरी दिलाने के गैंग का पर्दाफाश, 22 लाख देकर नौकरी पाने वाले बिहार के दो बंदी

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रायबरेली। प्रदेश में इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन (आईबीपीएस) से बैंकों में हो रही करीब पांच हजार पदों की भर्ती में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक के हेड ऑफिस में जॉइनिंग के दौरान जांच में सतर्कता टीम ने गोरखधंधा पकड़ा है। बायोमीट्रिक टेस्ट के दौरान बिहार के दो युवक पकड़े गए हैं।
इनके स्थान पर बैंकों में नौकरी दिलाने वाले गैंग के सदस्य परीक्षा और साक्षात्कार में शामिल हुए थे। गैंग के तार बिहार प्रांत से जुड़े होने की आशंका है। बैंक के अध्यक्ष डीपी गुप्ता के निर्देश पर दोनों युवकों के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है। पुलिस युवकों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। बैंक के अध्यक्ष ने मामले की रिपोर्ट आईबीपीएस को भेज दी है।
आईबीएस से परीक्षा व अन्य प्रक्रिया पूरी होने के बाद बैंकों की डिमांड पर क्लर्क व अन्य पदों के लिए अभ्यर्थी उपलब्ध कराए जाते हैं। बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक के 300 पदों को भरने के लिए आईबीपीएस से 800 अभ्यर्थी मिलने के बाद बायोमीट्रिक व अन्य जांच के साथ ही जॉइनिंग की प्रक्रिया चल रही है।
शहर के सिविल लाइंस इलाके में स्थित हेड ऑफिस में बायोमीट्रिक व शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच के दौरान दो संदिग्ध युवकों से पूछताछ शुरू की गई तो परत-दर-परत फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया। बैंक के अधिकारी प्रशांत मिश्रा व राज कुमार पांडेय की सतर्कता से बिहार प्रांत के ग्राम कुबड़ा पोस्ट परिऔना, नूरसराय नालंदा निवासी कन्हैयालाल और बिहार के ही गोविंदपुर, बाईपास रोड पटना निवासी राजीव रंजन को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की गई।
पकड़े गए युवकों ने बताया कि उनके स्थान पर बिहार के ही विक्की कुमार उर्फ सुमित मथुरिया बिहार व ऋषी सिंह निवासी नूर सराय शरीफ नालंदा बिहार ने लिखित व मुख्य परीक्षा दी थी। बैंक ने दोनों युवकों को कोतवाली पुलिस को सौंप दिया है। बैंक के मुख्य प्रबंधक एमएस खान ने कोतवाली में तहरीर देकर मामले में मुकदमा भी दर्ज करवा दिया है। पुलिस गैंग के शातिरों तक पहुंचने के लिए पूछताछ में जुट गई है।
बिहार प्रांत के कन्हैयालाल व राजीव रंजन को बैंक में नौकरी दिलाने के नाम पर 11-11 लाख रुपये में गैंग के सरगना ने डील की थी। एक से आठ लाख और दूसरे से तीन लाख रुपये ले भी लिए थे। बाकी धनराशि बैंक में जॉइन करने के बाद देेनी थी। पकड़े गए युवकों की माने तो बिहार में ही फर्जीवाड़े की पूरी रणनीति तैयार की गई थी।
प्रदेश के बैंकों में चल रही भर्तियों में ऐसे ही कई और अभ्यर्थी शामिल हैं, जिन्हें पास कराने के लिए सॉल्वरों ने लिखित व मुख्य परीक्षा दी थी। अब जॉइनिंग के लिए असली लोगों को बैंकों में भेजा गया। बिहार के दो युवकों को पकड़ने के बाद बैंक की सतर्कता टीम ने युवकों के मोबाइल फोन कब्जे में ले लिए। इन पर कई बार फोन आया, जिसमें बैंक जॉब लिखा था।
इन नंबरों के सहारे पुलिस गैंग के मुख्य सरगना तक पहुंचने के प्रयास में जुट गई है। पकड़े गए युवकों की माने तो गैंग का सरगना बिहार में है। उसके कई साथियों को पहले ही वह स्टेट बैंक व अन्य बैंकों में नौकरी दिलवा चुका है। बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष डीपी गुप्ता ने बताया कि बैंक की सतर्कता टीम के प्रयास से फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है।
पूरी टीम को सम्मानित किया गया है। पूरे प्रदेश की बैंकों में करीब पांच हजार पदों के लिए भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। अन्य स्थानों पर भी ऐसी ही गड़बड़ियों की आशंका है। दोनों युवकों को पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया है। जल्द ही पूरा गैंग पकड़ में आ जाएगा। बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक के हेड ऑफिस में लिपिक अभ्यर्थियों के दस्तावेजों एवं बायोमीट्रिक जांच के दौरान फर्जीवाड़ा पकड़ने वाली सतर्कता टीम के सदस्यों को बैंक के अध्यक्ष डीपी गुप्ता ने सम्मानित किया है।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों प्रशांत मिश्रा (प्रबंधक एचआरएम) व राजकुमार पांडेय (वरिष्ठ प्रबंधक निरीक्षण विभाग) की सतर्कता ने बैंक को बड़े घोटाले से बचाया है। ऐसे लोगों के भर्ती हो जाने के बाद ये जालसाज घोटाले करके बैंकों को बदनाम करते हैं। उन्होंने प्रशांत मिश्रा व राजकुमार पांडेय को पुष्प गुच्छ और प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया। इस दौरान बैंक के महाप्रबंधक चंदर बड़ाला व महाप्रबंधक जितेंद्र कुमार सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।अनुज मौर्य रिपोर्ट

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