मरीजों के जीवन को खतरे में डाल रही है डीसीडीसी प्रभारी की लापरवाही!
रायबरेली। शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं के तहत रायबरेली के राना बेनी माधव सिंह जिला अस्पताल में लगी डायलिसिस सेंटर में गंदगी का भारी अम्बार देखने को मिला,जो कि वहाँ भर्ती होने वाले मरीजों की जिंदगी के लिये किसी खतरे से कम नही है।
जानकारों के मुताबिक डायलिसिस एक अति संवेदनशील प्रक्रिया मानी जाती है, जिसमें जरा सी लापरवाही मरीज के जीवन पर भारी पड़ सकती है,इस प्रक्रिया के दौरान वार्ड में जितनी साफ सफाई हो,मरीजों के जीवन के लिए उतना ही बेहतर होता है, क्योंकि डायलिसिस एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आसपास की जरा सी भी गंदगी मरीज को संक्रमण का तोहफा दे कर उसके जीवन को खतरनाक मोड़ तक पहँचा सकती है।बताते चलें कि डायलिसिस सेंटर में अक्सर लगने वाले गंदगी के भारी अम्बार की खबरें पिछले काफी दिनों से चर्चा का केंद्र बनी हुई थी,भर्ती मरीजों के बेड से लेकर आसपास एकत्र गंदगी की तस्वीरें कई बार वायरल भी हुईं,परन्तु डीसीडीसी केंद्र प्रभारी की दबंगई व लापरवाही के कारण उसमें कोई सुधार होता नजर नही आया।डायलिसिस सेंटर में गंदगी की हकीकत परखने के लिये पिछले दिनों डायलिसिस सेंटर पहुँची पत्रकारों की टीम ने वहाँ जा कर देखा तो लोगों के बीच होने वाली चर्चाओं की पुष्टि होती नजर आयी,डायलिसिस सेंटर में संक्रमण से बचाव के लिए अंदर जाने से पूर्व जूते-चप्पल आदि जहाँ बाहर उतार कर ही अंदर जाने का बोर्ड तो नजर आया, परन्तु उस पर अमल होता नही दिखा, मरीज के बेड तक लोग पैरों में चप्पलें पहन कर मौजूद दिखे,वहीं वार्ड के ही एक कोने में तमाम मरीजों के डायलिसिस में प्रयोग हो चुकी रक्त से सराबोर प्लास्टिक की नलियों का भारी अम्बार भी नजर आया जिसे देख कर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस प्रकार डायलिसिस सेंटर के लोग ही भर्ती मरीजों को संक्रमण बाँटने की ब्यवस्था कर रहे हैं।बताते चलें कि पूरे डायलिसिस सेंटर में जगह-जगह गंदगी नजर आयी, साफ-सफाई के अभाव में गंदगी के बीच गुर्दा रोग के गंभीर मरीजों की डायलिसिस की जा रही है, जिसमें डायलिसिस का लाभ मरीजों को भले ही कम मिले परन्तु वार्ड में भारी मात्रा में एकत्रित रहने वाली प्रयोग हो चुकी रक्तरंजित सीरिंजों, नलियों व अन्य गंदगी के कारण संक्रमण का तोहफा जरूर मिल रहा होगा।लोगों के बीच चर्चा है कि वैसे तो शासन-प्रशासन की ओर से जिला अस्पताल में अक्सर निरीक्षण का कार्यक्रम होता रहता है,परन्तु निरीक्षण सिर्फ जिला अस्पताल के वार्डों व कार्यालय का होता है,जहाँ कि सीएमएस की सख्त कार्यशैली के कारण सब कुछ दुरुस्त रहता है,जबकि डायलिसिस सेंटर डीसीडीसी की यूनिट है,इसके प्रभारी ही इसके सर्वेसर्वा होते हैं,परन्तु इसे डायलिसिस सेंटर में भर्ती होने वाले मरीजों का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि डायलिसिस सेंटर प्रभारी अपने कार्यों के प्रति जहाँ लापरवाह बने हुए हैं वहीं अक्सर जिला अस्पताल का निरीक्षण करने वाले शासन-प्रशासन के लोग डायलिसिस सेंटर की तरफ ध्यान देना भी जरूरी नही समझ रहे हैं।
अनुज मौर्य रिपोर्ट