बहन और भाई है विकलांग बावजूद अनदेखी पर उतारू है जनपद के अधिकारी
रायबरेली। नाम पंकज सिंह निवासी ग्राम कोड़रा मजरे रहवा थाना हरचंदपुर प्रशासन से उम्मीद एक कमरा बन जाए 8 लोगों का परिवार सुरक्षित तरीके से जीवन यापन करने लगे। स्थिति हर अधिकारियों के पास से सिर्फ कल परसों हो जाएगा का जवाब। यथास्थिति मुख्यमंत्री को लिखा पत्र कहा आवास योजना के अंतर्गत आवास दिलाया जाए हो गया हूं प्रताड़ित। जी हां! रायबरेली जिला प्रशासन के नाकामयाबी और अपनी बेबसी का शब्द-शब्द जिक्र पंकज सिंह ने अपने प्रार्थना पत्र में किया है उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम प्रार्थना पत्र लिखकर कहा है हुजूर माता-पिता द्वारा बनवाई गई एक कोठरी में 8 लोगों का परिवार गुजर-बसर कड़ी कठिनाइयों के साथ हो रहा है और अब बड़ी तकलीफ उस कोठरी में हो रही है तथा छप्पर भी रख लिया है 2011 के सर्वे में उनका नाम है पात्र होने के बावजूद आज तक आवाज नहीं मिला। पंकज सिंह आगे लिखते हैं हुजूर ना हमारे पास जमीन है ना ही कोई सरकारी नौकरी हमारी बहन भी विकलांग है भाई भी विकलांग है उसका हाथ टूटा हुआ है जितने अधिकारी हैं छोटे से लेकर बड़े तक सबके पास वह पहुंचे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई इन अधिकारियों को निर्देश दिया जाए की तत्काल कार्यवाही करें आवास देने के लिए तत्काल कार्यवाही करें जिनके वह पात्र हैं।
शब्दों से प्रार्थना पत्र में झलक रही है जरूरत लेकिन प्रशासन उसका कुछ कहना ही नहीं!
मीडिया के समक्ष आकर पंकज सिंह अपनी दुश्वारियां बताने लगे उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम लिखे प्रार्थना पत्र को मीडिया के सामने रखा जिसको देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें एक घर की तत्काल जरूरत है लेकिन रायबरेली जिला प्रशासन को आम आदमी से क्या लेना देना क्या प्रशासनिक व्यवस्थाएं ऐसे ही चलती रहेंगी, आम आदमी ऐसे ही दर दर की ठोकरें खाएगा। सवाल किसी की जरूरत का भी है किसी की सुरक्षा का भी है लेकिन जिला प्रशासन इसमें रुचि नहीं लेता क्योंकि वहां अपने पुराने ढर्रे से काम कर रहा है उसके लिए सरकार एक खेल बन गई हैं और मुख्यमंत्री भी सिर्फ आदेश तक सीमित रह गए हैं। उत्तर प्रदेश के अब तक के बेहद सख्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी दिन पति जाए अगर वह यह प्रार्थना पत्र पढ़ ले लेकिन वह दूर की बात है भाजपा के कार्यकर्ताओं को भी आम जनमानस के इस दर्द को सुनना चाहिए भाजपा के जिला अध्यक्ष को भी इस दर्द को महसूस करना चाहिए आखिर एक असहज व्यक्ति किन कठिनाइयों में आप की सरकार से एक घर मांग रहा है।
घर के इर्द-गिर्द नहीं है सरकारी हैंडपंप
सरकारी हैंडपंप को अगर बंदरबांट कह दिया जाए तो सियासतदानों में भी हड़कंप मच जाएगा लेकिन उसका प्रयोग मत कीजिए क्योंकि नेता से लेकर सरकारी महकमे तक को बुरा लग जाएगा इसलिए हम वह शब्द वापस लेते हैं। इसकी जगह यहां कह दिया जाए क्या जरूरतमंद के घर हैंडपंप पहुंचाए गए हैं तो उसका जवाब है नहीं हैंडपंप तो जुगाड़ से हरेक घरों में फिट करा दिए गए हैं और पानी की हर एक बूंद उन्हीं घरों में गिरती है जहां पर पहुंच और पकड़ होती है। पंकज सिंह अपने दूसरे प्रार्थना पत्र में जिला अधिकारी को लिखते हुए एक सरकारी हैंडपंप की भी मांग करते हैं वह लिखते हैं हमें तत्काल एक सरकारी हैंडपंप मुहैया कराया जाए जिससे कम से कम पानी की तो सुगम व्यवस्था हो सके।
अनुज मौर्य रिपोर्ट