जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की लापरवाही का सच

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जनपद में RTE के तहत निशुल्क एडमिशन की प्रक्रिया हुई धड़ाम

रायबरेली। रायबरेली जनपद में RTE की धारा 12 1 C के तहत प्राइवेट स्कूलों की 25 प्रतिशत सीट पर निःशुल्क एडमिशन और निःशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था है साथ ही साथ अभिभावक के खाते में ₹5000 भेजे जाने का भी प्रावधान है।सरकार की इस लाभकारी योजना का पूरा लाभ गरीब दुर्बल और अलाभित समूह को नहीं मिल पा रहा है, जिसकी प्रमुख वजह नगर क्षेत्र के सभी प्राइवेट स्कूलों का नाम आरटीई की वेबसाइट दर्शाया नहीं गया है। जिसमें एक संगठन अभिभावकों के हितों के लिए काम करता है और ये संगठन पिछले 2 वर्षों से लगातार प्रयास कर रहे हैं की सभी प्राइवेट स्कूलों की सूची RTE की वेबसाइट पर दर्शायी जाए लेकिन नगर शिक्षा अधिकारी और प्राइवेट स्कूलों की मिलीभगत से रायबरेली नगर में मात्र 76 प्राइवेट स्कूल ही आरटीई की वेबसाइट पर दर्शाए गये हैं।
अनेक वार्ड ऐसे हैं जहां एक भी स्कूल दर्शाया नहीं गया है जिस कारण से उन वार्ड के बच्चों का एडमिशन नहीं हो सका है।

हमारा संगठन आपसे अनुरोध करता है कि आप अपनी निगरानी में नगर क्षेत्र के समस्त प्राइवेट स्कूलों को सूचीबद्ध कराने की कृपा करें, ताकि समस्त प्राइवेट स्कूलों का नाम आरटीई वेबसाइट पर अंकित कराया जा सके।
प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के तहत गरीब एवं अल्प आय वर्ग के बच्चों के प्रवेश हेतु 6 लाख सीटों पर 92 हजार आवेदन।

5 अप्रैल थी आवेदन की तिथि,
16 अप्रैल को पहली लाटरी, होनी थी ग्रामीण क्षेत्र में तो अब तक फॉर्म सत्यापन हेतु कोई सूचना ही नही, कोई कार्यवाही नही,
नगर क्षेत्र के स्कूलों में जमकर हुई है धांधली,
सभी प्राइवेट स्कूलों के नाम वेब साइट पर नही दर्शाये गये।

स्कूलों पर सीटें छुपाने के आरोप
कई स्कूलों में 1 सीट ही दिखाई गयी, विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने नहीं किया प्रचार प्रसार, नगर क्षेत्र में प्राइवेट स्कूलों में फ्री एडमिशन फ्री पढ़ाई के लिए उपलब्ध 535 सीट के सापेक्ष लगभह 140 आवेदन ही आये,
नगर शिक्षा अधिकारी ने फॉर्म सत्यापन के नाम पर की घोर लापरवाही, भारी संख्या में फॉर्म निरस्त,कर दिया गया अभिभावकों का आरोप है कि न ही कोई सत्यापन के लिए आया न ही कोई कॉल आयी,

कार्यालय में बैठकर मनमर्ज़ी से हुआ सत्यापन.

जिला अधिकारी को संगठन ने दिया शिकायती पत्र सादर अवगत करना है कि नगर क्षेत्र रायबरेली में मात्र 76 प्राइवेट स्कूलों के नाम ही वेबसाइट पर दर्शाये गए है। अनेक वार्ड ऐसे है जहाँ एक भी स्कूल नहीं दर्शाया गया। वार्ड का नंबर नही केवल नाम लिखा होने से अभिभावकों को स्कूल चुनने में परेशानी का सामना करना पड़ा। अनेक बड़े स्कूल ऐसे हैं जिनमे छात्र संख्या कम दर्शायी गयी है, कुछ में तो केवल 1 सीट पर ही एडमिशन का विकल्प दिया गया है। रायबरेली नगर क्षेत्र में मात्र 76 स्कूल में 535 सीट दिखाई गयी है जिनके सापेक्ष 151 ऑनलाइन फॉर्म आये। रिक्त सीट के सापेक्ष लगभग 36 प्रतिशत आवेदन ही आ पाये। नगर शिक्षा अधिकारी की लापरवाही और जल्दबाजी में सत्यापन में 151 में से 32 फॉर्म निरस्त कर दिए है।

जिन 20 प्रतिशत फॉर्म को निरस्त किया गया है उनके अधिकांश अभिभावक जिनका कथन निम्नवत है :

1 जुगनू 114844 की शिकायत है कि बीच शहर में मिलन सिनेमा के पास मकान है न कोई आया न कोई कॉल आयी।

2. विजय साहू 94202 की शिकायत है की ऑनलाइन फॉर्म भरते समय जो दस्तावेज लगाए थे जांच वाले ने वह दस्तावेज नहीं लिया और फॉर्म निरस्त कर दिया।

3. शोएब आलम 57251 का आरोप है कि कॉल आयी तो हम कागज लेकर जाने लगे और फिर काल करके पूछा कि बाबू जी आप कहाँ है तो उन्होंने कहा हमने कर दिया है घर जाओ।

4. आफताब आलम 95005 का कहना है कि मेरे पुत्र का मोहल्ले के वेलवर्क स्कूल में कर दिया लेकिन पुत्री का दूर के स्कूल संत कँवर स्कूल में किया है।

5. सुदीप त्रिवेदी 10206 का कहना है कि कोई कॉल नहीं आयी है ऑफिस जाने पे पता चला कि अब कुछ नही हो सकता।

6. अविनाश शुक्ला 99792 का कहना है कि ना किसी का फोन आया ना ही कोई जांच करने आया।

जिन अभिभावकों ने ऑफलाइन फॉर्म भरा था उन्हें किसी भी प्रकार की कोई भी जानकारी नहीं दी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र से अभिभावक जिला मुख्यालय के चक्कर लगा रहे हैं।

रायबरेली बीएसए की लापरवाही और बिना प्रचार प्रसार के 535 सीटों के सापेक्ष भारी मात्रा में लगभग 435 सीट रिक्त रह गई है। आज तक इस योजना के प्रचार प्रसार के लिए कोई भी विज्ञापन अखबारों में नहीं दिया गया।

उपरोक्त 6 प्रकरण को असपा के माध्यम से उठाया गया। अनुराधा मौर्या, नगर शिक्षा अधिकारी की गलतियों को छिपाने में नीतू गुप्ता, जिला समन्वयक प्रशिक्षण भी सहयोग कर रही हैं, दोनों की मिलीभगत से अभिभावकों का अहित हो रहा है, बच्चो की पढ़ाई बाधित हो रही है और एक साल के लिए घर पर बैठना पड़ेगा। इस प्रकरण में अधिकारीयों की प्राइवेट स्कूलों से गहरी मिलीभगत के अनेक साक्ष्य है नगर शिक्षा अधिकारी और जिला समन्वयक मिलकर प्राइवेट स्कूलों को अभयदान दे रखे हैं, इसकी उच्च स्तरीय मजिस्ट्रेट से जांच करायी जाये।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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