दिव्यांग बच्चों ने पेश की अनूठी मिसाल बनाया वेस्ट मटीरियल से दीपावली के समान

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जनपद के दिव्यांग बच्चों द्वारा की गई अनूठी पहल, लगाई हस्तनिर्मित सामग्री की स्टाल

रायबरेली। कौन कहता है आसमा में छेद नहीं होता तबियत से एक पत्थर तो उछालो….इन पंक्तियों को चरित्रार्थ किया ओम मानव उत्थान संस्थान व समेकित शिक्षा के प्रशिक्षक अभय श्रीवास्तव के दिव्यांग छात्रों ने।

अवसर था ब्लाक संसाधन केंद्र में आयोजित धनतेरस व दीपावली के अवसर पर आयोजित मेला एवं संस्कृतिक कार्यक्रम का ।समेकित शिक्षा व ओम मानव उत्थान संस्थान (ओमस) के संयुक्त तत्वावधान में ब्लाक संसाधन केंद्र अमावां में धनतेरस व दीपावली के अवसर पर दिव्यांग बच्चों के द्वारा हस्तनिर्मित साजोसामान की प्रदर्शनी लगाई गई। कार्यक्रम में समेकित शिक्षा के प्रशिक्षक अभय प्रकाश श्रीवास्तव के छात्रों व ही साथ ओम मानव उत्थान संस्थान (ओमस) के दिव्यांग बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक की प्रस्तुति से उपस्थित सभी अतिथिगणों का मन मोह लिया। कार्यक्रम में प्रशिक्षक अभय श्रीवास्तव द्वारा अपने दिव्यांग छात्रों के द्वारा बेकार पड़े सामानों द्वारा बनवाये गए विभिन्न प्रकार के मिट्टी की दियाली, मिट्टी की झालर, गुल्लक, दिवाली के ग्रीटिंग, कंडील, चित्रकला आदि की प्रदर्शनी लगाई गई। जिसमें मिट्टी के बर्तन, दियाली की झालरें, चम्मच का गुलतस्ता आकर्षण का केंद्र रहे। साथ ही दिव्यांग छात्रों विनय, शबाब अली, इंद्रीश, अजय, आलोक, नियाज़ व दिलीप ने विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ए बी आर सी अशोक प्रियदर्शी ने व अन्य अतिथिगणों में इन पी आर सी नीरज कुमार, विनोद यादव, संतोष , पंकज, रामलखन आदि व प्रा.वि. चकपीरक़्शाह की प्रधान अध्यापिका सीमा दीक्षित व अनीता चौधरी बी आर सी स्टाफ सारिक तनु भटनागर , सत्येंद्र आदि उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का सम्बोधन करते हुए वरिष्ठ ए बी आर सी अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि जिस प्रकार विशेष शिक्षक सामान्य बच्चों के साथ दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए नए नए प्रयोग करते हैं वो अपने आप में एक मिसाल हैं, उनके इन्ही प्रयोगों से आज अमावां विकाज़ क्षेत्र की समेकित शिक्षा जिले में ही नहीं बल्कि प्रदेश में प्रथम स्थान पर है। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भी अभय को हर सम्भव सहयोग प्रदान करने आश्वासन भी दिया । एन पी आर सी नीरज कुमार, ने भी प्रशिक्षक अभय के कार्यों की सराहना स्वनिर्मित कविता से करते हुए उनको मिसाल बताया साथ ही उन्हें हर पकार से अपना सहयोग प्रदान करने की मंशा दी। प्रधानाध्यपिका सीमा दीक्षित ने बताया कि अभी सर जब उनके विद्यालय आते हैं तो दिव्यांग बच्चों के साथ अन्य सामान्य सभी बच्चे उनके प्रशिक्षण से लाभान्वित होते हैं। उनकी प्रेरणा से आज बच्चों विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रति रुचियों का विकास हुआ है।

कार्यक्रम के व्यवस्थापक प्रशिक्षक अभय प्रकाश श्रीवास्तव ने सभी सहयोगियों के आभार व्यक्त करते हुए बताया कि विकास क्षेत्र अमावां के अधिकारियों, शिक्षकों साथ ही साथ सामान्य व दिव्यांग बच्चों से उन्हें मिल रहे अपार स्नेह और सहयोग के बूते वो दिव्यांग जनों को समाज की मुख्य धारा में लाने हेतु नित नए प्रयोग करते रहते हैं। गौरतलब है कि उनके इन्ही प्रयोगों की प्रदेश भर के समेकित शिक्षा में चर्चा बनी रहती है। इस बार समेकित शिक्षा के दिव्यांग बच्चों ने पहली बार हस्तनिर्मित सामग्री की स्टाल लगाकर एक मिसाल पेश की है।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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