मुंबई: आने वाले समय में महंगाई बढ़ने की चिंता में रिजर्व बैंक ने दो महीने से भी कम समय में प्रमुख नीतिगत दर को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत कर दिया है. आरबीआई के इस कदम से बैंकों के कर्ज महंगे हो सकते हैं और मकान, वाहन तथा दूसरे कर्ज पर ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ सकता है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के पांच सदस्यों ने रेपो दर बढ़ाने का समर्थन किया. इसके बाद रेपो दर को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत करने का फैसला लिया गया. हालांकि, समिति ने मौद्रिक नीति के रूख को ‘‘तटस्थ’’ बनाये रखा है. रेपो दर पर केन्द्रीय बैंक दूसरे वाणिज्यक बैंकों को अल्पावधि के लिये कर्ज देता है.
रेपो दर में इस वृद्धि के साथ ही रिवर्स रेपो दर भी इसी अनुपात में बढ़कर 6.25 प्रतिशत पर पहुंच गई है. सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) और बैंक दर भी 0.25 प्रतिशत बढ़कर 6.75 प्रतिशत हो गई है. रिवर्स रेपो वह ब्याज दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों के पास पड़ी अतिरिक्त नकदी को अपने पास जमा करता है. इसी तरह नकदी की सीमांत स्थायी सुविधा रेपो के तहत मिली सुविधा के अतिरिक्त त्वरित उधार की सुविधा होती है.