रायबरेली। इमाम बारगाह सैयद जव्वाद हुसैन मरहूम खिन्नी तला में 10 मजलिसों के अशर के बाद को इमाम हुसैन के 20वें का कदीमी मातमी जुलूस बरामद हुआ। जुलूस से पहले इमामबारगाह में मजलिस को खिताब करते हुये मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन का नाम बा माने है, लिखो तो खूअसूरतख् पढ़ो तो खूबसूरत, और महसूस करो तो हुसैन की जिदगी का अमल इंसानी जिंदगी को संवार दे। मौलाना ने कहा इमाम हुसैन हिदायत का रास्ता है, इमाम जब करबला पहुचें तो सबसे पहले उन्होंने करबला की जमीन खरीदी उसके बाद रूकने के लिये खैमें लगाये जब कि उन्हें मालूम था कि यही शहादत होनी है नमाजे पढऩी है, यह सबक सभी मजाहिब के इंसानियत परस्तों के लिये है कि हड़पी गयी, गस्ब की गयी जगह पर हर इबादत फिजूल हैं। मौलाना ने कहा कि अस्ल इस्लाम बादे रसूल सिर्फ दरे अहलेबैत से मिलता है जो सिर्फ इंसानियत और मोहब्बत का पैगाम देता है न कि दहश्तगर्दी का। मजलिस के बाद अलम व ताजिये का जुलूस अंजुमन सज्जादिया की जेरे निगरानी में निकला। पुरानी मछली बाजार चौराहे पर बच्चों व नौजवानों ने जंजीर का मातम कर खुद को लहुलुहान कर इजहारे गम किया। घण्टाघर चौराहे पर सर पर कमां का मातम हुआ। जुलूस अपने कदीमी रास्ते खिन्नी तला, कैपरगंज, घण्टाघर, ताडतल्ला, मधुबन, शक्ति नगर, होता हुआ सैयदगंज के पैतृक कब्रस्तान पहुंचा। यहां अल विदाई नौहा पढक़र ताजिये को दफन किया गया। बाद मे मातमदारों के लिये हाजरी ( भोजन) का एहतेमाम किया गया। जुलूस में अंजुमन सज्जादिया अध्यक्ष मुस्तफा आजम नकवी, जनरल सेक्रेटरी रियाजुल हसन जाफरी के अतिरिक्त नाजिम अली, जमीर अब्बास, जहीर अब्बास, शुजाअत अली, आफताब अबरार रजा, फैजी, जावेद, इरफान हसन, सलमान, आबिद हसनैन, अहमद अब्बास खान, मो. अस्करी नकवी, शाहिद अली नकवी नसीराबादी, फैयाज रायबरेलवी, अंजुम नकवी, इमरान मेंहदी, मिनहाल नकवी, शाहिद रजा, नवाब तकी, राहिल नकवी, वकार हुसैन नकवी, हाशिम अली, जहीर अब्बास नकवी, अश्तर नकवी, तैयब, मीसम नकवी सहित मातमदार व महिलाएं शरीक रही।