नेटवर्क 4जी का लेकिन 2 जी की सेवा भी नही मिल पा रही उपभोक्ताओं को

27

महराजगंज रायबरेली
क्षेत्र के बीएसएनएल समेत निजी टेलीकॉम कंपनियों का नेटवर्क ध्वस्त होने से उपभोक्ता परेशान हैं। आलम यह है कि क्षेत्र के उपभोक्ताओं को 4जी सेवा का मूल्य चुकाने के बाद 2जी की सेवा भी नहीं मिल पा रही है। उपभोक्ताओं को एक काल करने के लिए भी कई बार नंबर डायल करना पड़ रहा है। एक तो आसानी से काल दूसरी तरफ जाती नहीं और अगर काल लग भी गई तो उपभोक्ताओं के बात करते वक्त अचानक ही बीच में दूसरी तरफ की आवाज आनी बंद हो रही है। उपभोक्ताओं की शिकायतों पर टेलीकॉम कंपनियां नेटवर्क में सुधार की बात कहते हुए टरका रही हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि दस दिन की बात की गई थी लेकिन महीनों बीतने के बाद भी नेटवर्क सुधरने की बजाय और खराब हो गया है।
गौरतलब है कि क्षेत्र के लोधवामऊ चंदापुर, खैरहना, महराजगंज कस्बे सहित मऊ, हलोर, हरदोई, ओसाह आदि जगहों पर बीएसएनएल सहित वोडाफोन, टाटा, जियो, एअरटेल आदि टेलीकॉम कंपनियों के दर्जनों टावर लगे हैं। लेकिन गत एक माह पूर्व से ही नेटवर्क सेवा बाधित होने से क्षेत्र के उपभोक्ता परेशान हैं। आलम यह है कि अधिकतर टावरों पर बिजली जाने के बाद कंपनियों द्वारा लगवाए गए जेनरेटरों को निजी आपरेटर चलाते ही नहीं जिससे उपभोक्ताओं को 2जी की सेवा मिलना भी मुश्किल हो गया है। उपभोक्ता अजीत सिंह, राजू, धीरेन्द्र आदि ने बताया कि निजी टेलीकॉम कंपनियों की सेवा तो बीएसएनएल से भी बदतर हो गई है। पूरे पोतराम निवासी धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि पोस्टपेड कनेक्शन होने के बावजूद दूसरे सिम का सहारा लेना पड़ रहा है। वहीं वोडाफोन उपभोक्ता अजीत सिंह ने बताया कि 4जी का रिचार्ज कराने के बाद 2जी की डाटा स्पीड भी मिलना मुश्किल हो गया है। जियो की स्थिति तो और भी ख़राब है उपभोक्ताओं ने बताया कि क्षमता से अधिक उपभोक्ता होने व शिकायत करने पर नेटवर्क कुछ समय पश्चात सही होने की बात करते हुए उपभोक्ताओं को टरका दिया जाता है। क्षेत्र में महीनों से नेटवर्क सेवा बाधित होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी अपने अपने फायदे के लिए गांधारी का चोला अपनी आंखों पर डाले हुए हैं अब देखना यह है कि जिम्मेदारों की कुंभकर्णी नींद आखिर कब तलक टूटती है।

एडवोकेट अशोक यादव रिपोर्ट

Previous articleहो सकता है इस दल का जिले में आक्रमण, किसान व आमजन 48 घण्टे के लिए रहे सर्तक
Next articleभंडारा कराने में क्यों दो पक्ष हो गए आमने सामने