रायबरेली
कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण जिस प्रकार हमसबने 14 अप्रैल बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्मदिन सादगी और शालीनता का परिचय देते हुए संयम, संकल्प और समझदारी के साथ मनाया था। उसी प्रकार 7 मई को पड़ने वाली बुद्ध पूर्णिमा/ वैशाख पूर्णिमा जिसे हम लोग त्रिविधि पावनी बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं , को भी मनायेंगें।
आपको बताते चले इस बार बुद्ध पूर्णिमा (त्रिविधि पावनी बुद्ध पूर्णिमा) दिनांक- 7 मई 2020, दिन- गुरुवार को पड़ रही है। ईसापूर्व छठी शताब्दी (563 ईसा पूर्व) में इसी तिथि ( वैशाख माह की पूर्णिमा) को लुम्बिनी वन में तथागत बुद्ध का जन्म सिद्धार्थ गौतम के रूप में हुआ था । इसी तिथि (वैशाख माह की पूर्णिमा- 528 ईसा पूर्व) को बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उच्चतम ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसी तिथि (वैशाख माह की पूर्णिमा – 483 ईसा पूर्व) को ही कुशीनारा (कुशीनगर) में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। तथागत बुद्ध दुनिया के एकमात्र ऐसे महापुरुष हैं जिनको जन्म, सम्बोधि और निर्वाण की प्राप्ति एक ही तिथि वैशाख माह की पूर्णिमा को हुई।
इस पावन पर्व को हम सभी लोग करोना महामारी के चलते देश में हुए लाकडाउन के कारण अपने-अपने घरों में संयम, संकल्प और समझदारी के साथ मनायेगें। हम लोग अपने परिवार के सदस्यों के साथ यथासंभव सफेद वस्त्र धारण कर भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं पर दीपदान , धूपदान (मोमबत्ती व अगरबत्ती) और पुष्पांजलि अर्पित करते हुए बुद्ध वंदना के साथ त्रिसरण और पंचशील ग्रहण करेंगें। शाम को अपने-अपने घरों को दीपावली की तरह दीपमालाओ से रोशन करेंगें।
इस दिन पूरे दिन का कार्यक्रम निर्धारित कर लेना है। घर को बुद्ध विहार समझ कर घर पर समस्त पूजा पद्धतियों को संपादित करना है। बौद्ध भिक्षुओं या भूखें व्यक्तियों को भोजन दान कराना है। यथासंभव गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना है। पास पड़ोस के पर्यावरण को साफ सुथरा रखना है। पशु- पक्षियों और जीव जंतुओं पर दया का भाव रखना है। अष्टांगिक मार्ग पर चलने का प्रयास करना है। उपोसथ व्रत रखना है। दस पारमिताओं को जीवन में धारण करना है। बुजुर्गों और महिलाओं का सम्मान करना है। बच्चों में वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान के प्रति रुचि पैदा करना है। यही हमारी भगवान तथागत बुद्ध के प्रति सच्ची श्रृद्धान्जलि होगी।
अनुज मौर्य रिपोर्ट