खीरों (रायबरेली)। बेटे की डांट से क्षुब्ध एक माँ ने मौत का फंदा गले लगा लिया।सात बच्चों की बिना परवाह किये,उसने साड़ी से फांसी लगा ली,आनन-फानन में उसे उतारा गया लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।परिवार में चीख-पुकार मच गई।पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
जानकारी के अनुसार थाना क्षेत्र के पाहो गांव निवासिनी सुनीता देवी अपने घर में सात बच्चों के साथ रहती थी बीते कुछ वर्ष पूर्व सुनीता के पति श्रीपाल की मौत हो चुकी हैं परिवार में अकेले ही बच्चों का भरण पोषण करती थी। बुधवार शाम को छोटे बेटे से कुछ कहासुनी हो गई इसी दौरान उसने दरवाजे को बंद कर कमरे में कुंडी के सहारे साड़ी से फंदा लगा लिया तब तक परिजन कुछ समझ पाते तब तक वह फंदे से लटक चुकी थी आनन-फानन में बच्चों ने उसे नीचे उतारा लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी परिवार के सदस्यों ने थाने में सूचना दी,सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।घर में संजय (20) वर्ष, विजय (18)वर्ष, प्रदीप (16) वर्ष,शैलेन्द्र (14)वर्ष ,करन (10)वर्ष पंकज (8) वर्ष,और एक बेटी सुमन (6)वर्ष है।इस संबंध में प्रभारी निरीक्षक अरुण कुमार सिंह ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है अगर किसी प्रकार की कोई तहरीर मिलती है तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
कैसे होगी बच्चों की परवरिश?
मुफलिसी के दौर में जी रहे परिवार में बुधवार शाम को एक और पहाड़ टूट पड़ा जब बीते वर्षो अपने पिता को खो चुके बच्चों को मां का भी सहारे का साथ ना मिला,मासूमों के चेहरे से खौफ छलक रहा था लेकिन हाथ बढ़ाने वालों की संख्या कम रही,फिलहाल मां बाप को खो चुके बच्चों में करन छठवें नंबर का बेटा है और वह बीमार भी रहता है सवाल यह है कि मां बाप का साया उठने के बाद अब परिवार की देखभाल और बच्चों की परवरिश कौन करेगा ?
अनुज मौर्य /धर्मन्द्र भारती रिपोर्ट