महामारी के बीच जनपद में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने अपने तौर-तरीकों से वैशाख माह की बुद्ध पूर्णिमा को मनाया।

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रायबरेली

वैशाख माह की पूर्णिमा को भगवान बुद्ध के जन्म, संबोधि लाभ और महापरिनिर्वाण की घटनाओं को सादगी पूर्ण ढंग से त्रिविधि पावनी बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया गया।
कोरोना वैश्विक महामारी के बीच जनपद में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने अपने तौर-तरीकों से वैशाख माह की बुद्ध पूर्णिमा को मनाया। भारतीय बौद्ध महासभा के पदाधिकारियों ने डॉ भीमराव अंबेडकर बुद्ध विहार पंचशील नगर बालापुर रायबरेली में सुबह त्रिरत्न वंदना, त्रिशरण और पंचशील का कार्यक्रम रखा। यहां महासभा के संरक्षक बौद्ध भिक्षु डॉ. कमल सील ने धम्मोपदेश दिया। उन्होंने मंगल मैत्री की कामना की।
भारतीय बौद्ध महासभा के अध्यक्ष सुनील दत्त ने सबको त्रिविधि पावनी बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि बुद्ध की शिक्षाएं समस्त मानव जाति के लिए कल्याणकारी हैं। इस कोरोना वैश्विक महामारी में बुद्ध की वाणी औषधि के समान है। इसलिए बौद्ध परंपरा में उन्हें मेडिसिन बुद्धा भी कहा जाता है।
इस अवसर पर बुद्ध विहार के अध्यक्ष चंद्रशेखर, संरक्षक रामप्रसाद बौद्ध, इंजीनियर एस.के. आर्या, महासभा के महामंत्री प्रमोद कुमार बौद्ध, संगठन मंत्री शिव कुमार, विश्व दलित परिषद के राजेश कुरील, बहुजन शक्ति संघर्ष वाहिनी के संरक्षक रोहित चौधरी, बहुजन जागृति टीम के राजेंद्र बौद्ध ने भी भगवान बुद्ध को पंचांग प्रणाम कर त्रिरत्न वंदना ग्रहण किया।
इसके अतिरिक्त कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते तमाम लोगों ने अपने घरों में अपने परिवार के साथ ही बुद्ध पूर्णिमा को सादगी पूर्ण ढंग से मनाया।
बौद्ध भिक्षु धम्मपाल के संयोजन में अहिंसक बुद्ध विहार कुंडौली बछरावां, रामस्वरूप मौर्य के संयोजन में भगत बुद्ध विहार रुस्तमपुर, एडवोकेट शिव नारायण मौर्य के संयोजन में गोंदवारा, श्यामलाल के नेतृत्व में नरपतगंज, कमल सोनकर और मिथिलेश मौर्य के नेतृत्व में जायस, बौद्ध भिक्षु जितेंद्र वर्धन के संयोजन में मदनपुर डीह, अशोक सावंत के नेतृत्व में छतोह में बुद्ध जयंती का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
उल्लेखनीय है कि वैशाख माह की पूर्णिमा को भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुंबिनी में हुआ था। इसी वैशाख माह की पूर्णिमा को 528 ईसा पूर्व बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसी वैशाख माह की पूर्णिमा को ही 483 ईसा पूर्व कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था । उक्त तीनों घटनाएं वैशाख माह की पूर्णिमा को ही घटित हुई थीं। इसलिए वैशाख माह की पूर्णिमा को त्रिविधि पावनी बुध पूर्णिमा कहा जाता है। इसलिए इस बैसाख पूर्णिमा को भगवान बुद्ध के अनुयाई बड़ी श्रद्धा से मनाते हैं।

अनुज मौर्य/मनीष श्रीवास्तव रिपोर्ट

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