रायबरेली। रेल मंत्रालय भारत सरकार यात्रियों की सुविधा के लिए लाख जतन क्यों न कर ले,किन्तु ट्रेन में चलने वाले आरपीएफ स्टाफ व टीटीआई जहरखुरानी गिरोह से मुकाबला नही कर पाते है।कोई न कोई रेल यात्री जहरखुरानी गिरोह का शिकार हो ही जाता है।टिकट चेक करने के नाम पर आम व गरीब आदमी से रौब गाँठना तो टीटीआई व आरपीएफ स्टाफ की फितरत में है।किंतु ट्रेनों में चोरों व जहरखुरानी से बचाना इनके बस की बात नही है।यदि आप जनरल टिकट लेकर छूटती ट्रेन में चढ़ गए और गलती से आरक्षित कोच में आ गए तो फाइन कटना तय है।फिर जहरखुरानी कैसे कोच में आ जाते है,यह सबसे बड़ा सवाल है।
रेल मंत्रालय प्रत्येक ट्रेन में आरपीएफ स्टाफ को सुरक्षा हेतु लगाता है,लेकिन आरपीएफ स्टाफ में कुछ ऐसे जवान है,जो 100 से 200 रुपये में जहरखुरानी गिरोह को संरक्षण दे देते है।जिस दिन आरपीएफ स्टाफ को जिम्मेवार मानकर कार्यवाही होने लगेगी,उसी दिन से ट्रेनों में इस तरह की घटनाएं कम हो जाएगी।वैसे तो रेल मंत्रालय को चाहिए कि प्रत्येक कोच में कम से कम एक सिपाही तैनात करे।जिससे सफर करने वाले कोच के लोगों को सुरक्षा मिल सके।यात्रियों को भी सतर्क होना जरूरी है।किसी भी अनजान व्यक्ति से खाने पीने की चीजें न लें और उनके आस पास होने का एहसास हो तो सतर्क हो जाना चाहिए।लेकिन थोड़े से व्यवहार की वजह से जहर भी खा जाते है।
आज ताज़ा घटना रायबरेली रेलवे जंक्शन पर घटी,जहां उद्योग नगरी ट्रेन से मुंबई से कमाकर रायबरेली लौट रहे एक यात्री को जहरखुरानी का शिकार होना पड़ा।यात्री के पास से जनरल टिकट व पावर बैंक मिला,जबकि बाकी का समान पूरी तरह से गायब था।उसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।बाद में पता चला कि उक्त यात्री डीह थाना क्षेत्र के परशदेपुर का रहने वाला है।
अनुज मौर्य रिपोर्ट