कँचन टुडे की खबर का हुआ बड़ा असर लेखपालों अधिकारियों द्वारा की जा रही लेटलतीफी का डीएम ने लिया संज्ञान

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डलमऊ एसडीएम को किया निर्देशित देखना होगा क्या अधिकारी सुनते हैं जनता की बात!

लेखपालों के मनमर्जी भरे रवैये से प्रताड़ित हो रहे हैं जरूरतमंद

रायबरेली- जनसुनवाई पोर्टल के जरिए हजारों शिकायतें। निवारण की उम्मीद लगाए जरूरतमंद इस आस में शिकायत करते हैं कि उनका समाधान जल्द से जल्द होगा। लेकिन जमीनी स्तर पर नतीजा सिफर रहता है लेखपाल से लेकर अधिकारी तक लापरवाही का रवैया अख्तियार कर रखते हैं। कंचन टुडे की खबर का संज्ञान लेते हुए डीएम ने डलमऊ एसडीएम को निर्देशित किया है कि तत्काल उचित कार्यवाही करें।

जांच आख्या एवं खसरा व हिस्सा प्रमाण पत्र बनवाने में किसानों को करना पड़ता है जद्दोजहद

जनपद के हालात ऐसे ही हैं एक तरफ रायबरेली की डीएम शुभ्रा सक्सेना को बेहद ही तेज तर्रार अधिकारियों में गिनती की जाती है और उनके दिशानिर्देश जनता के हित के लिए होते हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों से वह लगातार संवाद स्थापित कर जल्द कार्यवाही हेतु निर्देशित करती रहती हैं लेकिन अधिकारी और कर्मचारी इतने बेपरवाह हैं कि अपने सबसे बड़े उच्च अधिकारी के आदेशों को भी नहीं मानते। 2 मामले सामने निकल कर आए हैं जिनमें एक ओनई पहाड़पुर गुरबख्शगंज तहसील का है जिसमें भरत सिंह ने जनसुनवाई के जरिए आवेदन किया था कि उनकी जमीन पर विद्यालय ने बाउंड्री करा रखी है जिससे आने-जाने का रास्ता बंद हो गया है उसे तत्काल खुलवाया जाए जिस पर लेखपाल को जांच रिपोर्ट लगानी थी लेकिन लापरवाही के चलते लेखपाल 15 दिन से जांच रिपोर्ट नहीं लगा रहा है। दूसरा मामला त्रियुगी नारायण सिंह ने डलमऊ तहसील में हिस्सा प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लेखपाल से आवेदन किया था लेकिन लेखपाल ना तो फोन उठा रहा है और ना ही उनके द्वारा किए गए अनुरोध पर कोई कार्यवाही हो रही है ऐसे में समझा जा सकता है कि इस तरह का रवैया तहसील स्तर पर अपना कर रखा गया है। उम्मीद है की डीएम के निर्देश के बाद एसडीएम डलमऊ व गुरबख्श गंज के अधिकारीगण कार्यवाही करेंगे जिससे ऐसी स्थितियों पर अंकुश लगाया जा सके और समय रहते कार्य हो सके।

किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए भी किसानों को करना पड़ता है जद्दोजहद

लघु एवं सीमांत किसानों के लिए प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के द्वारा इस बात की घोषणा की गई है कि किसानों के हित के लिए उनकी सरकार काम कर रही है और अधिकारी और कर्मचारी इस पर ध्यान दें। नियत समय के साथ किसान क्रेडिट कार्ड किसानों के पास हो जो 15 दिन में वादा भी है। लेकिन इसमें क्षेत्रीय बैंकों का भी लापरवाही भरा रवैया उजागर होता रहता है। इसलिए जिला प्रशासन को इस पर भी कार्यवाही करने की जरूरत है ताकि जरूरतमंद सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ उठा सकें। क्योंकि कभी भी निरीक्षण किसान क्रेडिट कार्ड के बनवाने या फिर उनके सक्रिय होने का नहीं होता है। यह भी सही है कि अधिकारियों और कर्मचारियों के पास काम है लेकिन जल्दी काम को इस बहाने डाल दिया जाएगा तो फिर कैसे योजनाओं का परवान सकेगा।

कुछ लेखपाल तो बेहद सक्रिय हैं लेकिन कुछ ने अपना रखा है लापरवाही भरा रवैया

अगर बात लेखपालों की की जाए तो जनपद के कुछ लेखपाल तो अपना काम बड़ी ईमानदारी के साथ करते हैं लेकिन उनमें से कुछ काम करने में दिलचस्पी नहीं लेते किसानों और जरूरतमंदों को वह रोज काम का बहाना बनाकर टाल देते हैं। जिससे किसानों और जरूरतमंदों को परेशान होना पड़ता है क्योंकि वह बार-बार तहसील का चक्कर लगाते हैं या लेखपाल को फोन करते हैं तो लेखपाल फोन भी नहीं उठाते हैं लेखपालों को चिन्हित कर जिला प्रशासन के द्वारा सख्त कार्यवाही की जाए जिस संदेश जाए कि मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के इरादों पर जो खरा नहीं उतरेगा जन योजनाओं में जो अधिकारी जमीन पर काम नहीं करेगा उस पर सख्त कार्रवाई होगी। अब देखना होगा जिला अधिकारी महोदय के जिम्मेदारों पर क्या कार्यवाही करती हैं।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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