महराजगंज (रायबरेली)। ‘सबका साथ-सबका विकास’ का नारा देने वाली भाजपा की सरकार में जिला ही नहीं वरन समूचे प्रदेश की ग्राम पंचायतों में चतुर्थ राज्य वित्त आयोग एवं चौदहवां वित्त आयोग में विकास निधि नहीं आने से उधारी के सहारे ग्राम पंचायतों में विकास कार्य कराया जा रहा है। वहीं ऐसी भी ग्राम पंचायतें हैं। जहां विकास निधि नहीं आने से ग्राम पंचायतों का विकास कार्य ठप्प पड़ा है।
बताते चलें कि ग्राम पंचायतों की विकास निधि चतुर्थ राज्य वित्त आयोग में एक वित्तीय वर्ष मे विकास के लिए चार किश्तों मे ग्राम पंचायतों के विकास निधि खाते मे शासन द्वारा विकास निधि भेजी जाती है। जिससे ग्राम प्रधान का मानदेय, प्रशासनिक व्यय, एवं ग्राम पंचायत में अन्य मरम्मत कार्य कराए जाते हैं। तो वहीं ग्राम पंचायतों मे चौदहवां वित्त आयोग के माध्यम से ग्राम पंचायतों के विकास के लिए शासन द्वारा विकास निधि दो किश्तों मे भेजी जाती है। जिससे ग्राम पंचायतों मे हैंडपंप मरम्मत, हैंडपंप रिबोर, ग्राम पंचायत से प्रस्तावित खडंजा एवं नाली निर्माण आदि कार्य कराये जाते हैं। लेकिन इस वित्तीय वर्ष 2018-19 मे शासन के निर्देशानुसार ज्यादातर ग्राम पंचायतों मे (विद्यालय भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, पंचायत घर) में से एक सरकारी इमारत का कायाकल्प कराया जा रहा है। इस वित्तीय वर्ष 2018-19 में ग्राम पंचायतों के चतुर्थ राज्य वित्त आयोग की विकास निधि में चार किश्तों में से एक किश्त शासन द्वारा सितंबर 2018 में ग्राम पंचायत के विकास निधि खाते में भेजी गयी है और ग्राम पंचायत की दूसरी विकास निधि चौदहवां वित्त आयोग में दो किश्तों मे एक किश्त जून 2018 में आयी है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने को है और ग्राम पंचायतों मे विकास निधि नहीं आने से सरकार की महत्वपूर्ण योजनाएं सरकारी इमारतों का कायाकल्प अधर में लटकी हुई है। वहीं विकास निधि की किश्तें नहीं आने से ग्राम पंचायतों मे हैंडपंप मरम्मत व हैंडपंप रिबोर व अन्य विकास कार्य ठप्प हैं।